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राम के नाम का झंडा लेहरा है (Ram Ke Nam Ka Jhanda Lehra Hai)

राम के नाम का झंडा लहरा है ये लहरे गा

ये त्रेता में फहरा है कलयुग में भी फहरे गा ।


हिन्दुस्तान की धरती क्यों नही जय श्री राम कहेगी

राम नाम नही मिटने वाला जब तक धरती रहेगी,

इतहास गवाह रहा है ठेहरा है न ठेहरे गा,

येह त्रेता में फेहरा है कलयुग में भी फेहरे गा ।


बोल रही है गंगा बोल रहा है पर्वत सारा

हर हिन्दू के सीने में है राम नाम का आदर,

कहे विनय पवन अब सेवक हर घर से बेहरे गा,

येह त्रेता में फेहरा है कलयुग में भी फेहरे गा ।

इष्टि पौराणिक कथा और महत्व

इष्टि, वैदिक काल का एक विशेष प्रकार का यज्ञ है। जो इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में शांति लाने के उद्देश्य से किया जाता है। संस्कृत में 'इष्टि' का अर्थ 'यज्ञ' होता है। इसे हवन की तरह ही आयोजित किया जाता है।

श्री सूर्य देव चालीसा (Shri Surya Dev Chalisa)

कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥

सुन लो चतुर सुजान, निगुरे नहीं रहना - भजन (Sunlo Chatur Sujan Nigure Nahi Rehna)

निगुरे नहीं रहना
सुन लो चतुर सुजान निगुरे नहीं रहना...

मोको कहां ढूंढे रे बंदे(Moko Kahan Dhunde Re Bande)

मोको कहां ढूंढे रे बंदे,
मैं तो तेरे पास में ।