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संकट हरनी मंगल करनी, कर दो बेडा पार(Sankat Harni Mangal Karni Kardo Beda Paar)

संकट हरनी मंगल करनी,

कर दो बेडा पार,

भरोसा भारी है,

भारी है माँ भारी है,

तुझपे भरोसा भारी है,

जय जगदम्बे शेरावाली,

हे दुर्गे अवतार,

भरोसा भारी है,

संकट हरणी मंगल करणी,

कर दो बेडा पार,

भरोसा भारी है ॥


लक्ष्मी शारदा काली तू,

करने मर्दन वाली तू,

भक्तो की प्रतिपाली तू,

मैया शेरावाली तू,

कर रक्षा अपने भक्तो की,

होकर सिंह सवार,

भरोसा भारी है,

संकट हरणी मंगल करणी,

कर दो बेडा पार,

भरोसा भारी है ॥


बीच भवर में नाव पड़ी,

तुझ बिन मैया कोई नहीं,

डोल रही है नाव मेरी,

पार करेगी माँ तू ही,

छोड़ तुझे अब जाऊं कहाँ मैं,

दिखे ना दूजा द्वार,

भरोसा भारी है,

संकट हरणी मंगल करणी,

कर दो बेडा पार,

भरोसा भारी है ॥


माँ की शक्ति भारी है,

माँ की ज्योत निराली है,

माँ की ममता की महिमा,

वेद पुराण बखानी है,

जनम लिया पर मिला नहीं माँ,

तेरा सच्चा प्यार,

भरोसा भारी है,

संकट हरणी मंगल करणी,

कर दो बेडा पार,

भरोसा भारी है ॥


भाव सागर का पार नहीं,

नैया में पतवार नहीं,

सुनले करुण पुकार मेरी,

तेरे बिन आधार नहीं,

‘राधे’ पर कर दया मेहर की,

एक बार पलक उघाड़,

भरोसा भारी है,

संकट हरणी मंगल करणी,

कर दो बेडा पार,

भरोसा भारी है ॥


संकट हरनी मंगल करनी,

कर दो बेडा पार,

भरोसा भारी है,

भारी है माँ भारी है,

तुझपे भरोसा भारी है,

जय जगदम्बे शेरावाली,

हे दुर्गे अवतार,

भरोसा भारी है,

संकट हरणी मंगल करणी,

कर दो बेडा पार,

भरोसा भारी है ॥

देवों के देव है ये, महादेव कहलाते है (Devon Ke Dev Hai Ye Mahadev Kahlate Hai)

सबको अमृत बांटे,
खुद विष पि जाते है,

भोलेनाथ की दीवानी, गौरा रानी लागे (Bholenath Ki Deewani Gora Rani Lage)

भोलेनाथ की दीवानी,
गौरा रानी लागे,

जया एकादशी व्रत नियम

प्रत्येक महीने में एकादशी दो बार आती है—एक बार कृष्ण पक्ष में और दूसरी बार शुक्ल पक्ष में। कृष्ण पक्ष की एकादशी पूर्णिमा के बाद आती है, जबकि शुक्ल पक्ष की एकादशी अमावस्या के बाद आती है।

अमृत बेला गया आलसी सो रहा बन आभागा (Amrit Bela Geya Aalasi So Raha Ban Aabhaga)

बेला अमृत गया,
आलसी सो रहा बन आभागा,

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