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श्याम ने रंगस्या जी: भजन (Shyam Ne Rangsya Ji)

मेलो फागण को खाटू में चालो,

श्याम ने रंगस्या जी,

मेलो फागण को ॥


रंग भरी पिचकारी लेकर,

खाटू नगरी आवा जी,

छोटो छोटो हाथा से म्हे,

रंग लगावा जी,

मेलो फागण को,

मेलो फागण को खाटू में चालो,

श्याम ने रँगस्या जी,

मेलो फागण को ॥


लाल गुलाबी नीला पीला,

रंग से खाटू रंगस्या जी,

ऐसो करा धमाल के बाबो,

रुक ना पावे जी,

मेलो फागण को,

मेलो फागण को खाटू में चालो,

श्याम ने रँगस्या जी,

मेलो फागण को ॥


भगता के संग होली खेलन,

श्याम धणी अब आयो जी,

देख म्हाने सांवरिये को,

जी ललचावे जी,

मेलो फागण को,

मेलो फागण को खाटू में चालो,

श्याम ने रँगस्या जी,

मेलो फागण को ॥


‘नवीन’ सुनावे फाग श्याम ने,

संग भक्ता रो रेलो जी,

सांवरियो म्हने रंग लगावे,

म्हे भी नाचा जी,

मेलो फागण को,

मेलो फागण को खाटू में चालो,

श्याम ने रँगस्या जी,

मेलो फागण को ॥


मेलो फागण को खाटू में चालो,

श्याम ने रंगस्या जी,

मेलो फागण को ॥

प्रदोष व्रत चालीसा

हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है, जो भगवान शिव की पूजा को समर्पित होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार प्रदोष व्रत कन्याओं के लिए बेहद खास होता है, इस दिन भोलेनाथ की उपासना करने और व्रत रखने से मनचाहा वर पाने की कामना पूरी होती हैं।

लगन लागी तोसे मोरी मैय्या (Lagan Lagi Tose Mori Maiya)

लगन लागी तोसे मोरी मैय्या,
मिलन की लगन तोसे लागी मां।

सुनो भवानी अरज हमारी, दया करो माँ कृपा करो माँ (Suno Bhawani Araj Hamari Daya Karo Maa Kripa Karo Maa)

सुनो भवानी अरज हमारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ,

गौरी के लाल सुनो (Gauri Ke Lal Suno)

गौरी के लाल सुनो,