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तेरी करती रहूँ मैं चाकरी, वरदान यही मैं चाहूँ(Teri Karti Rahu Main Chakri Vardan Yahi Main Chahu)

तेरी करती रहूं मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

माँ शेरावाली वर देना,

माँ ज्योता वाली वर देना ॥


एक जनम क्या कई जन्मों तक,

तेरी सेवा पाऊं,

सुन्दर सुन्दर इन हाथों से,

तेरे द्वार सजाऊँ,

मेरी लगती रहें दर हाजरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ ॥


अपनी आँखों के पलकों से,

तेरा अंगना बुहारूं,

तन मन के फूलों से,

अम्बे मंदिर तेरा सवारुं,

बस मैं ये चाहूँ तेरी चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ ॥


तेरी करती रहूं मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

माँ शेरावाली वर देना,

माँ ज्योता वाली वर देना ॥

मां ज्वाला देवी की कथा

मां भगवती के 51 शक्तिपीठों में से एक, ज्वालामुखी मंदिर, अपनी अनूठी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। इसे 'जोता वाली मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता सती के शरीर के टुकड़े जहां-जहां गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ स्थापित हुए।

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ओ लागी लागी रे प्रीत,
थासु सांवरिया सरकार,

सुध ले लो मेरी घनश्याम - भजन (Sudh Le Lo Meri Ghanshyam)

सुध ले लो मेरी घनश्याम,
आप आए नहीं,

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हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की तिथि है, जो ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि के देवता हैं। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त होती है। विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी दोनों ही भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के अवसर हैं।

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