जगदाती पहाड़ों वाली माँ, मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ (Jagdati Pahado Wali Maa Meri Bigdi Banane Aa Jao)

जगदाती पहाड़ों वाली माँ,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ,

मेरा और सहारा कोई ना,

मेरी लाज बचाने आ जाओ,

जगदाती पहाड़ों वाली माँ,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


मैं निर्बल निर्धन दिन बड़ा,

मैं घिर गया गम के घेरों में,

मां ज्योति रुपा भय हरनी,

कहीं डूब ना जाऊं अंधेरों में,

कमजोर हूं मैं मैया,

मेरी चिंता मिटाने आजाओ,

मेरी चिंता मिटाने आजाओ,

जग दाती पहाड़ो वाली मां,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


तेरे भरे हुए भंडार है माँ,

मोहताज मैं दाने दाने का,

तेरे होते हुए दिल कांप रहा,

तेरे द्वार के इस दीवाने का,

मेरी नाव भंवर में फंसी,

इसे पार लगाने आ जाओ,

इसे पार लगाने आ जाओ,

जग दाती पहाड़ो वाली मां,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


कहीं एक गरीब की कुटिया ना,

लोगों की नजर से गिर जाए,

विश्वास के रंगों पर मैया,

कहीं पानी ही ना फिर जाए,

क्या करूं कुछ सूझे ना,

मुझे रास्ता दिखाने आ जाओ,

मुझे रास्ता दिखाने आ जाओ,

जग दाती पहाड़ो वाली मां,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


जगदाती पहाड़ों वाली माँ,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ,

मेरा और सहारा कोई ना,

मेरी लाज बचाने आ जाओ,

जगदाती पहाड़ो वाली मां,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


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सरस्वती अमृतवाणी (Saraswati Amritwani)

सुरमय वीणा धारिणी,
सरस्वती कला निधान,

उत्पन्ना एकादशी पर तुलसी मंजरी का उपाय

इस वर्ष में मंगलवार, 26 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।

हो दीनानाथ(Ho Deenanath)

सोना सट कुनिया, हो दीनानाथ
हे घूमइछा संसार, हे घूमइछा संसार

तुम कालों के काल, बाबा मेरे महाकाल(Tum Kalo Ke Kal Baba Mere Mahakal )

तुम कालों के काल,
बाबा मेरे महाकाल ॥

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