जगदाती पहाड़ों वाली माँ, मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ (Jagdati Pahado Wali Maa Meri Bigdi Banane Aa Jao)

जगदाती पहाड़ों वाली माँ,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ,

मेरा और सहारा कोई ना,

मेरी लाज बचाने आ जाओ,

जगदाती पहाड़ों वाली माँ,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


मैं निर्बल निर्धन दिन बड़ा,

मैं घिर गया गम के घेरों में,

मां ज्योति रुपा भय हरनी,

कहीं डूब ना जाऊं अंधेरों में,

कमजोर हूं मैं मैया,

मेरी चिंता मिटाने आजाओ,

मेरी चिंता मिटाने आजाओ,

जग दाती पहाड़ो वाली मां,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


तेरे भरे हुए भंडार है माँ,

मोहताज मैं दाने दाने का,

तेरे होते हुए दिल कांप रहा,

तेरे द्वार के इस दीवाने का,

मेरी नाव भंवर में फंसी,

इसे पार लगाने आ जाओ,

इसे पार लगाने आ जाओ,

जग दाती पहाड़ो वाली मां,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


कहीं एक गरीब की कुटिया ना,

लोगों की नजर से गिर जाए,

विश्वास के रंगों पर मैया,

कहीं पानी ही ना फिर जाए,

क्या करूं कुछ सूझे ना,

मुझे रास्ता दिखाने आ जाओ,

मुझे रास्ता दिखाने आ जाओ,

जग दाती पहाड़ो वाली मां,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


जगदाती पहाड़ों वाली माँ,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ,

मेरा और सहारा कोई ना,

मेरी लाज बचाने आ जाओ,

जगदाती पहाड़ो वाली मां,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


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तकदीर मुझे ले चल, मैय्या जी की बस्ती में

दरबार में हर रंग के दीवाने मिलेंगे,
( दरबार में हर रंग के दीवाने मिलेंगे,)

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो(Gira Ja Raha Hu Utha Lo)

प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालो,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,

हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे(He Govind He Gopal Ab To Jeevan Hare)

हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ।
अब तो जीवन हारे, प्रभु शरण हैं तिहारे ॥

विष्णुशयनी एकादशी एवं चातुर्मास व्रत (Vishnushayanee Ekaadashee Evan Chaaturmaas Vrat)

इस एकादशी का नाम विष्णुशयनी भी है। इसी दिन विष्णुजी का व्रत एवं चातुर्मास्य व्रत प्रारम्भ करना विष्णु पुराण से प्रकट होता है।

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