बैल की सवारी करे डमरू बजाये (Bail Ki Sawari Kare Damroo Bajaye)

बैल की सवारी करे डमरू बजाये

जग के ताप हरे सुख बरसाये

ॐ नमः शिवाये, ॐ नमः शिवाये


रचना रचा के आप खेले रे खिलाड़ी

कहीं पे बनावो राजा कहीं पे भिखारी

रोने लगा हार के वो जीत के हंसाये

जग के ताप हरे सुख बरसाये

बैल की सवारी करे..


बाघम्बर लपेटे वो पहने नागमाला

हाथों में त्रिशूल धरे नाम भोला-भाला

दीनों पे दयाल होके लक्ष्मी लुटाए

जग के ताप हरे सुख बरसाये

बैल की सवारी करे..


स्वर्ग से उतारी गंगा जटा में समाई

भगतों को तारने धरती पे आई

भाल नेत्र ज्वाला से वो पापों को जलाये

जग के ताप हरे सुख बरसाये

बैल की सवारी करे..


महादेव महादानी जग रखवाला

शरण में आये को कर दे निहाला

उसकी लीला कौन जाने उसके सिवाय

जग के ताप हरे सुख बरसाये

बैल की सवारी करे..


बैल की सवारी करे डमरू बजाये

जग के ताप हरे सुख बरसाये

ॐ नमः शिवाये, ॐ नमः शिवाये

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हर बात को भूलो मगर.. (Har Baat Ko Tum Bhulo Bhale Maa Bap Ko Mat Bhulna)

हर बात को भूलो मगर,
माँ बाप मत भूलना,

आये नवरात्रे मैया, उपकार कीजिय (Aaye Navratre Maiya, Upkar Kijiye)

अब करके दया,
हम बच्चों का उद्धार कीजिये,

भज राधे गोविंदा रे पगले(Bhaj Radhe Govinda Re Pagle)

भज राधे गोविंदा रे पगले,
भज राधे गोविंदा रे,

स्कंद षष्ठी व्रत कथा

स्कंद षष्ठी का व्रत हर माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2025 की पहली स्कन्द षष्ठी 05 जनवरी को मनाई जाएगी।

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