भजामि शंकराये नमामि शंकराये (Bhajami Shankaraye Namami Shankaraye)

भजामि शंकराये नमामि शंकराये,

त्रिलोचनाये शूलपाणी चंद्र शेखराये,

हर हर बम बम शिव भोले,

हर हर बम बम शिव भोले ॥


अनाथों के हो नाथ तुम,

दुखी जनो के साथ तुम,

लो थाम मेरा हाथ तुम,

कहाँ हो भोलेनाथ तुम,

भजामी शंकराये नमामी शंकराये,

त्रिलोचनाये शूलपाणी चंद्र शेखराये,

हर हर बम बम शिव भोले,

हर हर बम बम शिव भोले ॥


अनंत हो विशाल हो,

असीम शिव दयाल हो,

करो कृपा की कोर जो,

तो दीन भी निहाल हो,

भजामी शंकराये नमामी शंकराये,

त्रिलोचनाये शूलपाणी चंद्र शेखराये,

हर हर बम बम शिव भोले,

हर हर बम बम शिव भोले ॥


शरण में लो उबार दो,

जनम मेरा सुधार दो,

दया करो दया करो,

मुझे भी नाथ तार दो,

भजामी शंकराये नमामी शंकराये,

त्रिलोचनाये शूलपाणी चंद्र शेखराये,

हर हर बम बम शिव भोले,

हर हर बम बम शिव भोले ॥


भजामि शंकराये नमामि शंकराये,

त्रिलोचनाये शूलपाणी चंद्र शेखराये,

हर हर बम बम शिव भोले,

हर हर बम बम शिव भोले ॥

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श्री संतोषी माता चालीसा (Shri Santoshi Mata Chalisa)

श्री गणपति पद नाय सिर , धरि हिय शारदा ध्यान ।
सन्तोषी मां की करूँ , कीरति सकल बखान ।

बिगड़ी मेरी बना दे ओ शेरो वाली मैय्या

सदा पापी से पापी को भी तुम, माँ, भव-सिंधु तारी हो फँसी मझधार में नैय्या को भी पल में उबारी हो

राम नाम का प्याला प्यारे, पि ले सुबहो शाम(Ram Naam Ka Pyala Pyare Pi Le Subaho Sham)

राम नाम का प्याला प्यारे,
पि ले सुबहो शाम,

भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान कैसे मिला?

वेदों के रचयिता वेदव्यास जी ने महाभारत महाकाव्य की रचना की है। इस महाकाव्य में प्रमुख स्तंभ भीष्म पितामह को बताया गया है। हस्तिनापुर के राजा शांतनु का विवाह देवी गंगा से हुआ था।

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