भवानी मैया शारदा भजो रे (Bhawani Maiya Sharda Bhajo Re)

भवानी मैया शारदा भजो रे,

शारदा भजो रे,

भर जेहे सकल भण्डार रे,

भवानी मैया हो ॥


रुठ के बैठी शारदा भुवन में,

शारदा भुवन में,

लंबे लंबे बिखराये अपने केश रे,

रुठ के बैठी हो ॥


रक्तवर्ण के फुलवा माँ मंगावे,

फुलवा मां मंगावे रे,

लंगुरवा पठावे हिंगलाज रे,

रक्तवर्ण के हो ॥


जाओ जाओ बारे रे लंगुरवा,

बारे रे लंगुरवा लाओ फुलवा,

पंखुडिएं जिनमें पाँच रे,

के जाओ लंगुरवा हो ॥


हिंगलाज में बैठी भवानी मैया,

बैठी भवानी मैया,

बिंदिया चमके चमक गुलज़ार रे,

अरे हिंगलाज में हो ॥


भवानी मैया शारदा भजो रे,

शारदा भजो रे,

भर जेहे सकल भण्डार रे,

भवानी मैया हो ॥


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रूक्मिणी-श्रीकृष्ण के विवाह से जुड़ी कथा

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मंगल को जन्मे, मंगल ही करते(Mangal Ko Janme Mangal Hi Karte)

मंगल को जन्मे,
मंगल ही करते,

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कि बन गए नन्दलाल लिलिहारि(Ki Ban Gaye Nandlal Lilihari)

कि बन गए नन्दलाल लिलिहारि,
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