बोली गौरी सुनो भोला, बात मेरी ध्यान से सुनलो (Boli Gaura Suno Bhola Baat Meri Dhyan Se Sunlo)

बोली गौरी सुनो भोला,
बात मेरी ध्यान से सुनलो,
मुझे या भांग दोनों में,
कोई भी एक तुम चुन लो,
चली मैं जाउंगी,
वरना तुम्हे छोड़ कर,
बोली गौरी सुनों भोला,
बात मेरी ध्यान से सुनलो ॥

जबसे लाये हो तुम,
ब्याह करके मुझे,
मुझसे प्यारी लगे,
भोला भंगिया तुझे,
ना दया है ना,
दिल में तेरे प्यार है,
मेरे अरमानो के,
सारे दीपक बुझे,
तेरे दिल में,
हमारी नहीं है कदर,
बोली गौरी सुनों भोला,
बात मेरी ध्यान से सुनलो ॥

भांग पीने की आदत,
तू ये छोड़ दे,
वरना तू मुझसे,
रिश्ता अभी तोड़ दे,
बन गई मेरी सौतन,
ये भंगिया तेरी,
भांग की मटकी,
भोला अभी फोड़ दे,
घोला भंगिया ने,
जीवन मेरे ज़हर,
बोली गौरी सुनों भोला,
बात मेरी ध्यान से सुनलो ॥

फैसला अब ये भोला,
तेरे हाथ है,
भांग या रहना,
तुमको मेरे साथ है,
दोनों बच्चे सँभालु,
या भंगिया घिसूँ,
ध्यान बच्चों का भी,
न तुम्हे नाथ है,
‘कुंदन’ बिलकुल,
नहीं है हमारी फिकर,
बोली गौरी सुनों भोला,
बात मेरी ध्यान से सुनलो ॥

बोली गौरी सुनो भोला,
बात मेरी ध्यान से सुनलो,
मुझे या भांग दोनों में,
कोई भी एक तुम चुन लो,
चली मैं जाउंगी,
वरना तुम्हे छोड़ कर,
बोली गौरी सुनों भोला,
बात मेरी ध्यान से सुनलो ॥

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मत्स्य द्वादशी कब है

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श्री गायत्री चालीसा (Sri Gayatri Chalisa)

हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड ।
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥

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