चली चली रे पालकी श्री राम की (Chali Chali Re Palki Shree Ram Ki)

चली चली रे,

चली चली रे,

चली चली रे पालकी श्री राम की,

जय बोलो भक्तो वीर हनुमान की ॥


भक्तों के ये काज संवारे,

कर देते हैं वारे न्यारे,

श्री राम जी के साथ माता जानकी,

जय बोलो भक्तों वीर हनुमान की,

चली चली रे पालकी श्रीं राम की,

जय बोलो भैया वीर हनुमान की ॥


इनका हर साल मेला लगता,

बजरंगी का रूप है सजता,

वेद शास्त्रों में महिमा इनके नाम की,

जय बोलो भक्तों वीर हनुमान की,

चली चली रे पालकी श्रीं राम की,

जय बोलो भैया वीर हनुमान की ॥


इनको बस इक अर्जी लगती,

कृपा भक्तों पे करती शक्ति,

‘देवदत्त’ देवे बधाई गुणगान की,

जय बोलो भक्तों वीर हनुमान की,

चली चली रे पालकी श्रीं राम की,

जय बोलो भैया वीर हनुमान की ॥


चली चली रे,

चली चली रे,

चली चली रे पालकी श्री राम की,

जय बोलो भक्तो वीर हनुमान की ॥

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माघ पूर्णिमा में चन्द्रमा पूजन

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का काफी महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर लोग व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं।

अरज सुणो बनवारी (Araj Suno Banwari)

अरज सुणो बनवारी सांवरियां म्हारी,
अरज सुणो बनवारी,

तू महलों में रहने वाली (Tu Mahalon Main Rahne Wali)

तू महलों में रहने वाली
मैं जोगी जट्टा धारी हूँ

होली क्यों मनाई जाती है

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाती है। इस दिन पूरा देश अबीर-गुलाल और रंग में सराबोर रहता है। हर कोई एक-दूसरे पर प्यार के रंग बरसाते हैं। होली के रंगों को प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।

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