डमरू बजाए अंग भस्मी रमाए (Damru Bajaye Ang Bhasmi Ramaye)

डमरू बजाए अंग भस्मी रमाए,

और ध्यान लगाए किसका,

ना जाने वो डमरू वाला,

ना जाने वो डमरू वाला,

सब देवो में सब देवों में,

है वो देव निराला,

डमरू बजाए अंग भस्मी रमाये,

और ध्यान लगाए किसका ॥


मस्तक पे चंदा,

जिसकी जटा में है गंगा,

रहती पार्वती संग में,

सवारी है बूढ़ा नंदा,

है नंदा,

वो कैलाशी है अविनाशी,

पहने सर्पो की माला,

डमरू बजाए अंग भस्मी रमाये,

और ध्यान लगाए किसका ॥


बाघम्बर धारी,

वो है भोला त्रिपुरारी,

रहता है वो मस्त सदा,

जिसकी महिमा है भारी,

है न्यारी,

वो शिव शंकर है प्रलयंकर,

रहता सदा मतवाला,

डमरू बजाए अंग भस्मी रमाये,

और ध्यान लगाए किसका ॥


सारे मिल गायें,

शिव शम्भू को ध्याये,

जो भी मांगे सो पाए,

दर से खाली ना जाए,

जो आए,

बड़ा है दानी बड़ा ही ज्ञानी,

सारे जग का रखवाला,

डमरू बजाए अंग भस्मी रमाये,

और ध्यान लगाए किसका ॥


डमरू बजाए अंग भस्मी रमाए,

और ध्यान लगाए किसका,

ना जाने वो डमरू वाला,

ना जाने वो डमरू वाला,

सब देवो में सब देवों में,

है वो देव निराला,

डमरू बजाए अंग भस्मी रमाये,

और ध्यान लगाए किसका ॥

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लेके पूजा की थाली

लेके पूजा की थाली, ज्योत मन की जगा ली
तेरी आरती उतारूँ, भोली माँ
तू जो दे-दे सहारा, सुख जीवन का सारा
तेरे चरणों पे वारूँ, भोली माँ

रथ सप्तमी सर्वार्थसिद्धि योग

हिंदू धर्म में, रथ सप्तमी का पर्व हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को श्रद्धा पूर्वक मनाया जाता है। इस साल रथ सप्तमी का पर्व 4 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा।

मेरी आखिओं के सामने ही रहना(Meri Akhion Ke Samne Hi Rehina Oh Shero Wali Jagdambe)

मेरी आखिओं के सामने ही रहना,
माँ शेरों वाली जगदम्बे ।

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