मेरी आखिओं के सामने ही रहना(Meri Akhion Ke Samne Hi Rehina Oh Shero Wali Jagdambe)

मेरी आखिओं के सामने ही रहना,

माँ शेरों वाली जगदम्बे ।

हम तो चाकर मैया,

तेरे दरबार के,

भूखे हैं हम तो मैया,

बस तेरे प्यार के॥


विनती हमारी भी,

अब करो मंज़ूर माँ,

चरणों से हमको कभी,

करना ना दूर माँ ॥


मुझे जान के अपना बालक,

सब भूल तू मेरी भुला देना,

शेरों वाली जगदम्बे,

आँचल में मुझे छिपा लेना ॥

॥ मेरी आखिओं के सामने...॥


तुम हो शिव जी की शक्ति,

मैया शेरों वाली ।

तुम हो दुर्गा हो अम्बे,

मैया तुम हो काली॥

बन के अमृत की धार सदा बहना,

ओ शेरों वाली जगदम्बे ॥

॥ मेरी आखिओं के सामने...॥


तेरे बालक को कभी माँ सबर आए,

जहाँ देखूं माँ तू ही तू नज़र आये ।

मुझे इसके सिवा कुछ ना कहना,

ओ शेरों वाली जगदम्बे ॥

॥ मेरी आखिओं के सामने...॥


देदो शर्मा को भक्ति का,

दान मैया जी,

लक्खा गाता रहे,

तेरा गुणगान मैया जी ।

है भजन तेरा,

भक्तो का गहना,

ओ शेरों वाली जगदम्बे ॥


मेरी आखिओं के सामने ही रहना,

माँ शेरों वाली जगदम्बे ।

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हरिद्वार जाउंगी, सखी ना लौट के आऊँगी(Haridwar Jaungi Sakhi Na Laut Ke Aaungi)

सखी हरिद्वार जाउंगी,
हरिद्वार जाउंगी,

बसंत पंचमी पर पीले कपड़े क्यों पहनते हैं?

बसंत पंचमी सनातन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार विद्या, कला और संगीत की देवी सरस्वती को समर्पित है और हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

मेरे राम की सवारी (Mere Ram Ki Sawari)

हे उतर रही हे उतर रही
मेरे राम की सवारी हो

आजा कलयुग में लेके, अवतार ओ भोले (Aaja Kalyug Me Leke, Avtar O Bhole)

अवतार ओ भोले,
अपने भक्तो की सुनले,

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