गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो(Gira Ja Raha Hu Utha Lo)

प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालो,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,

प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालो,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,


खाली ना जाता कोई दर से तुम्हारे,

द्वारे खड़ा हूँ नन्ही बाहें पसारे,

चरणों की सेवा में, लगा लो लगा लो

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,

प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो ।

प्रभु अपने दर से..


नहीं टूट पायेगा, दुनियाँ का बंधन,

जब तक कृपा ना होगी तेरी रघुनंदन,

कदम लड़खड़ाए हैं, संभालो संभालो

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,

प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो ।

प्रभु अपने दर से..


अगर था हटाना तो फिर क्यों बुलाया,

सोते ही रहने देते काहे जगाया,

अब जब जगाया तो अपना बना लो,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,

प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो ।

प्रभु अपने दर से..


बंधन प्रताप सारे टूट चुके हैं,

जितने सहारे थे छूट चुके हैं,

अवसर मिला है अपना वादा निभा लो,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,

प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो ।

प्रभु अपने दर से..


प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,

प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,

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मेरी अखियाँ तरस रही, भोले का दीदार पाने को(Meri Akhiyan Taras Rahi Bhole Ka Didar Pane Ko)

मेरी अखियाँ तरस रही,
भोले का दीदार पाने को,

बसंत सम्पात 2025: महत्व और अनुष्ठान

रंग पंचमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे होली के पांचवें दिन मनाया जाता है। इसे बसंत महोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करने का महत्व बताया गया है।

ये श्री बालाजी महाराज है, रखते भक्तो की ये लाज है (Ye Shree Balaji Maharaj Hai Rakhte Bhakto Ki Ye Laaj Hai)

ये श्री बालाजी महाराज है,
रखते भक्तो की ये लाज है,

शेरावाली का लगा है दरबार (Sherawali Ka Laga Hai Darbar)

शेरावाली का लगा है दरबार,
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