हरिद्वार जाउंगी, सखी ना लौट के आऊँगी(Haridwar Jaungi Sakhi Na Laut Ke Aaungi)

सखी हरिद्वार जाउंगी,

हरिद्वार जाउंगी,

सखी ना लौट के आऊँगी,

मेरे उठे विरह में पीर,

सखी हरिद्वार जाउंगी ॥


छोड़ दिया मैंने भोजन पानी,

भोले तेरी याद में,

छोड़ दिया मैंने भोजन पानी,

भोले तेरी याद में,

मेरे नैनन बरसे नीर,

सखी हरिद्वार जाउंगी ॥


सुंदर सलोनी सूरत पे,

दीवानी हो गई,

अब कैसे धारू धीर सखी,

सखी हरिद्वार जाउंगी,

मेरे उठे विरह में पीर,

सखी हरिद्वार जाउंगी ॥


इस दुनिया के रिश्ते नाते,

सब ही तोड़ दिए,

तुझे कैसे दिखाऊं दिल चिर,

सखी हरिद्वार जाउंगी,

मेरे उठे विरह में पीर,

सखी हरिद्वार जाउंगी ॥


नैन लड़े मेरे भोले से,

बावरी हो गई,

दुनिया से हो गई अंजानी,

सखी हरिद्वार जाउंगी,

मेरे उठे विरह में पीर,

सखी हरिद्वार जाउंगी ॥


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तेरे नाम की धुन लागी (Tere Naam Ki Dhun Lagi)

तेरे नाम की धुन लागी,
मन है तेरा मतवाला,

सारे जहाँ के मालिक तेरा ही आसरा है(Sare Jahan Ke Malik Tera Hi Aasara Hai)

सारे जहाँ के मालिक, तेरा ही आसरा है,
राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,

सकट चौथ यम नियम

सकट चौथ हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। इस दिन भगवान गणेश के साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है।

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला (Bhaye Pragat Kripala Din Dayala)

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।

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