हे गजानन पधारो (Hey Gajanan Padharo)

सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति,

विघ्नहरण सुखपाल जी,

हे गजानन पधारो गौरी लाल जी,

हे गजानन पधारों गौरी लाल जी ॥


महिमा है अतिभारी चार भुजा धारी,

एकदंत दयावंत न्यारी मूषक सवारी,

गल मोतियन की माला साजे,

चन्दन चौकी देव विराजे,

केसर तिलक सोहे भाल जी,

हे गजानन पधारों गौरी लाल जी ॥


शम्भू दियो वरदान देवो में देवा महान,

पहले तुम्हरो ही ध्यान तुम्हरो ही गुणगान,

पान पुष्प से तुमको रुझावे,

मनवांछित फल सो जन पावे,

ले लड्डूवन की थाल जी,

हे गजानन पधारों गौरी लाल जी ॥


सभी विघ्न हरो जी दूर संकट करो जी,

झोली सुख से भरो जी हाथ सिर पे धरो जी,

दास ‘सरल’ को आसरा तेरा,

कंठ में हो सरस्वती बसेरा,

दीजो स्वर और ताल जी,

हे गजानन पधारों गौरी लाल जी ॥


सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति,

विघ्नहरण सुखपाल जी,

हे गजानन पधारो गौरी लाल जी,

हे गजानन पधारों गौरी लाल जी ॥

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श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे (shri ram janki bethe hai mere seene me)

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे,
देख लो मेरे दिल के नगीने में II

अगर प्यार तेरे से पाया ना होता (Agar Pyar Tere Se Paya Na Hota)

​अगर प्यार तेरे से पाया ना होता,
तुझे श्याम अपना बनाया ना होता ॥

नवरात्रि में कलश स्थापना कैसे करें

कलश स्थापना को शुभता और मंगल का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कलश में जल को ब्रह्मांड की सभी सकारात्मक ऊर्जाओं का स्रोत माना गया है।

हरि का भजन करो, हरि है तुम्हारा (Hari Ka Bhajan Karo, Hari Hai Tumhara)

हरि का भजन करो,
हरि है तुम्हारा,

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