हे गजानन पधारो (Hey Gajanan Padharo)

सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति,

विघ्नहरण सुखपाल जी,

हे गजानन पधारो गौरी लाल जी,

हे गजानन पधारों गौरी लाल जी ॥


महिमा है अतिभारी चार भुजा धारी,

एकदंत दयावंत न्यारी मूषक सवारी,

गल मोतियन की माला साजे,

चन्दन चौकी देव विराजे,

केसर तिलक सोहे भाल जी,

हे गजानन पधारों गौरी लाल जी ॥


शम्भू दियो वरदान देवो में देवा महान,

पहले तुम्हरो ही ध्यान तुम्हरो ही गुणगान,

पान पुष्प से तुमको रुझावे,

मनवांछित फल सो जन पावे,

ले लड्डूवन की थाल जी,

हे गजानन पधारों गौरी लाल जी ॥


सभी विघ्न हरो जी दूर संकट करो जी,

झोली सुख से भरो जी हाथ सिर पे धरो जी,

दास ‘सरल’ को आसरा तेरा,

कंठ में हो सरस्वती बसेरा,

दीजो स्वर और ताल जी,

हे गजानन पधारों गौरी लाल जी ॥


सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति,

विघ्नहरण सुखपाल जी,

हे गजानन पधारो गौरी लाल जी,

हे गजानन पधारों गौरी लाल जी ॥

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माघ माह में स्नान का क्या है धार्मिक महत्व

माघ का महीना हिंदू धर्म में पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। इस महीने में स्नान करने का विशेष महत्व है, जिसे माघ स्नान कहते हैं। मान्यता है कि माघ महीने में देवता पृथ्वी पर आते हैं और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।

सोमवती अमावस्या व्रत कथा

अमावस्या का हिंदू धर्म में खास महत्व होता है। सोमवार को पड़ने की वजह से इस अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दौरान पितरों की पूजा होती है। दिसंबर माह में सोमवती अमावस्या सोमवार, 30 दिसंबर 2024 को है।

सोमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त

अमावस्या की तिथि पितरों के तर्पण और उनकी पूजा-अर्चना के लिए शुभ मानी जाती है। जब अमावस्या किसी सोमवार को पड़ती है, तो इसे 'सोमवती अमावस्या' कहते हैं। सनातन धर्म में इस दिन का महत्व बहुत अधिक है।

नामकरण संस्कार पूजा विधि

नामकरण संस्कार हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक है, जिसमें बच्चे को उसकी पहचान दी जाती है। यह बच्चे के जीवन का पहला अनुष्ठान होता है।

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