जब तें रामु ब्याहि घर आए(Jab Te Ram Bhayai Ghar Aaye)

॥ दोहा॥

श्री गुरु चरन सरोज रज

निज मनु मुकुरु सुधारि ।

बरनउँ रघुबर बिमल जसु

जो दायकु फल चारि ॥


॥ चौपाई ॥

जब तें रामु ब्याहि घर आए ।

नित नव मंगल मोद बधाए ॥

भुवन चारिदस भूधर भारी ।

सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी ॥1॥


रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई ।

उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई ॥

मनिगन पुर नर नारि सुजाती ।

सुचि अमोल सुंदर सब भाँती ॥2॥


कहि न जाइ कछु नगर बिभूती ।

जनु एतनिअ बिरंचि करतूती ॥

सब बिधि सब पुर लोग सुखारी ।

रामचंद मुख चंदु निहारी ॥3॥


मुदित मातु सब सखीं सहेली ।

फलित बिलोकि मनोरथ बेली ॥

राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ ।

प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ ॥4॥

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वृन्दावन के ओ बांके बिहारी (Vrindavan Ke O Banke Bihari )

वृन्दावन के ओ बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ॥

हे जग स्वामी, अंतर्यामी, तेरे सन्मुख आता हूँ (He Jag Swami Anataryami, Tere Sanmukh Aata Hoon)

हे जग स्वामी, अंतर्यामी,
तेरे सन्मुख आता हूँ ।

मैया तेरे नवराते हैं, मैं तो नाचू छम छमा छम (Maiya Tere Navratre Hai Mai To Nachu Cham Cham)

मैया तेरे नवराते हैं,
मैं तो नाचू छम छमा छम,

रंग बरसे लाल गुलाल, हो गुलाल(Rang Barse Laal Gulal Ho Gulal)

रंग बरसे लाल गुलाल,
हो गुलाल,

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