जय रघुनन्दन, जय सिया राम (Jai Raghunandan Jai Siya Ram Bhajan)

जय रघुनन्दन, जय सिया राम ।

भजमन प्यारे, जय सिया राम ।


जय रघुनन्दन, जय सिया राम ।

भजमन प्यारे, जय सिया राम ।


आदि राम, अनंत है राम ।

सत चित और, अनंत है राम ।

जय रघुनन्दन, जय सिया राम ॥


हनुमान के स्वामी राम ।

दीनन के दुःख हारी राम ।

जय रघुनन्दन, जय सिया राम ॥


मर्यादा पुर्शोतम राम ।

पूरण ब्रम्ह सनातन राम ।

जय रघुनन्दन, जय सिया राम ॥


तुलसी सुत तुलसी के राम ।

करुना कर भक्तों के राम ।

जय रघुनन्दन, जय सिया राम ॥


जय सिया राम जय जय सिया राम


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शनिवार व्रत कथा और महत्व

सनातन हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है। शनिदेव को बहुत जल्दी क्रोध आता है, और इनके क्रोध से सभी बचने की कोशिश करते हैं। माना जाता है कि इनके क्रोध से व्यक्ति पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है।

होली और रंगों का अनोखा रिश्ता

होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि ये खुशियां, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और गिले-शिकवे भुलाकर त्योहार मनाते हैं। लेकिन क्या आपने ये कभी सोचा है कि होली पर रंग लगाने की परंपरा कैसे शुरू हुई? इसके पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है, जो भगवान श्रीकृष्ण और प्रह्लाद से जुड़ी है।

शिव की जटा से बरसे, गंगा की धार है (Shiv Ki Jata Se Barse Ganga Ki Dhar Hai)

शिव की जटा से बरसे,
गंगा की धार है,

गलियां जरा सजा दो, महाकाल आ रहे है (Galiyan Jara Saja Do Mahakal Aa Rahe Hai)

गलियां जरा सजा दो,
महाकाल आ रहे है ॥

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