जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री (Janme Avadh Me Ram Mangal Gao Ri)

जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री

दो सबको ये पैगाम घर घर जाओ री

जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री


कौशल्या रानी को सब दो बधाई

आई रे आई घडी शुभ ये आई

मिलके चलो रघु धाम

संग मेरे आओ री

मिलके चलो रघु धाम

संग मेरे आओ री


जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री

दो सबको ये पैगाम घर घर जाओ री


राम लला के दर्शन करलो

पग पंकज पे माथा धरलो

पावन है इनका नाम

पल पल ध्याओ री

पावन है इनका नाम

पल पल ध्याओ री


जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री

दो सबको ये पैगाम घर घर जाओ री


दशरथ के अंगना बजी शहनाई

दुल्हन के जैसी अयोध्या सजाई

खुशियों की है ये शाम

दीप जलाओ री

खुशियों की है ये शाम

दीप जलाओ री


जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री

दो सबको ये पैगाम घर घर जाओ री

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फूल भी न माँगती, हार भी न माँगती (Phool Bhi Na Mangti Haar Bhi Na Mangti)

फूल भी न माँगती,
हार भी न माँगती,

जगदीश ज्ञान दाता(Jagadish Gyan Data: Prarthana)

जगदीश ज्ञान दाता, सुख मूल शोकहारी
भगवन् ! तुम्हीं सदा हो, निष्पक्ष न्यायकारी ॥

रुक्मिणी अष्टमी की कथा

पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। देवी रुक्मिणी मां लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं और भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में से एक थीं।

जब भी नैन मूंदो(Jab Bhi Nain Mundo Jab Bhi Nain Kholo)

जय राधे कृष्णा,
जय राधे कृष्णा,

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