जन्मे है राम रघुरैया, अवधपुर में (Janme Hai Ram Raghuraiya Awadhpur Mein )

जन्मे है राम रघुरैया,

अवधपुर में बाजे बधैया,

बाजे बधैया बाजे बधैया,

जन्में है राम रघुरैया,

अवधपुर में बाजे बधैया ॥


राजा दशरथ गैया लुटावे,

राजा दशरथ गैया लुटावे,

कंगना लुटावे तीनो मैया,

अवधपुर में बाजे बधैया,

जन्में है राम रघुरैया,

अवधपुर में बाजे बधैया ॥


राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न,

राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न,

गोदी में खेले चारो भैया,

अवधपुर में बाजे बधैया,

जन्में है राम रघुरैया,

अवधपुर में बाजे बधैया ॥


सारी अयोध्या में धूम मची है,

सारी अयोध्या में धूम मची है,

भारी है भीड़ अंगनैया,

अवधपुर में बाजे बधैया,

जन्में है राम रघुरैया,

अवधपुर में बाजे बधैया ॥


‘माधव’ कहे शिव डमरू बजावे,

‘माधव’ कहे शिव डमरू बजावे,

आशीष देवे गौरी मैया,

अवधपुर में बाजे बधैया,

जन्में है राम रघुरैया,

अवधपुर में बाजे बधैया ॥


जन्मे है राम रघुरैया,

अवधपुर में बाजे बधैया,

बाजे बधैया बाजे बधैया,

जन्में है राम रघुरैया,

अवधपुर में बाजे बधैया ॥


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चैत्र में चंद्र दर्शन के मुहूर्त

हिंदू धर्म में चंद्रमा को देवता समान माना जाता है और उनकी पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। चंद्र दर्शन का विशेष महत्व अमावस्या के बाद पहली बार चंद्रमा के दर्शन करने से जुड़ा हुआ है।

पितृ पक्ष की पौराणिक कथा

संतान के द्वारा श्राद्धकर्म और पिंडदान आदि करने पर पितरों को तृप्ति मिलती है, और वे अपनी संतानों को धन-धान्य और खुश रहने का आशीर्वाद देते हैं।

कब है रुक्मिणी अष्टमी?

हिंदू धर्म में पौष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी को समर्पित है, जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, रुक्मिणी अष्टमी पर ही द्वापर युग में विदर्भ के महाराज भीष्मक के यहां देवी रुक्मिणी जन्मी थीं।

मोहे लागी लगन गुरु चरणन की(Mohe Lagi Lagan Guru Charanan Ki)

अखंड-मंडलाकारं
व्याप्तम येन चराचरम

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