जो सुमिरत सिधि होइ (Jo Sumirat Siddhi Hoi)

श्री रामायण प्रारम्भ स्तुति,

जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन ॥

करउ अनुग्रह सोइ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन ॥ 1 ॥


मूक होइ बाचाल पंगु चढइ गिरिबर गहन ॥

जासु कृपाँ सो दयाल द्रवउ सकल कलि मल दहन ॥ 2 ॥


नील सरोरुह स्याम तरुन अरुन बारिज नयन ॥

करउ सो मम उर धाम सदा छीरसागर सयन ॥ 3 ॥


कुंद इंदु सम देह उमा रमन करुना अयन ॥

जाहि दीन पर नेह करउ कृपा मर्दन मयन ॥ 4 ॥


बंदउ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि ॥

महामोह तम पुंज जासु बचन रबि कर निकर ॥ 5 ॥

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छूम छूूम छननन बाजे, मैय्या पांव पैंजनिया (Chum Chumu Channan Baje Maiya Paon Panjaniya)

छूम छूूम छननन बाजे,
मैय्या पांव पैंजनिया।

वसंत पूर्णिमा की पूजा विधि

भारत में पूर्णिमा का बहुत महत्व है और देश के प्रमुख क्षेत्रों में इसे पूर्णिमा कहा जाता है। पूर्णिमा का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि अधिकांश प्रमुख त्यौहार या वर्षगांठ इसी दिन पड़ती हैं।

कान्हा तेरी मुरली की, जो धुन बज जाए (Kanha Teri Murli Ki Jo Dhun Baj Jaaye)

कान्हा तेरी मुरली की,
जो धुन बज जाए,

श्री महाकाली चालीसा (Shri Mahakali Chalisa)

जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब,
देहु दर्श जगदम्ब अब करहु न मातु विलम्ब ॥

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