कांच ही बांस के बहंगिया (Kaanch Hi Baans Ke Bahangiya)

कांच ही बांस के बहंगिया, 

बहंगी लचकति जाए।

बहंगी लचकति जाए।

बात जे पुछेले बटोहिया,

बेहंगी केकरा के जाए? 

बहंगी केकरा के जाए? 


तू त आन्हर हउवे रे बटोहिया, 

बहंगी छठी माई के जाए... 

बहंगी छठी माई के जाए... 

कांच ही बांस के बहंगिया, 

बहंगी लचकति जाए।

बहंगी लचकति जाए।


केरवा जे फरेला घवद से,

ओह पर सुगा मेंड़राय... 

ओह पर सुगा मेंड़राय... 

खबरी जनइबो अदित से 

सुगा देले जूठियाय 

सुगा देले जूठियाय... 

ऊ जे मरबो रे सुगवा धनुष से 

सुगा गिरे मुरछाय... 

सुगा गिरे मुरछाय... 

केरवा जे फरेला घवद से 

ओह पर सुगा मेंड़राय... 

ओह पर सुगा मेंड़राय… 


........................................................................................................
नाग स्तोत्रम् (Nag Stotram)

ब्रह्म लोके च ये सर्पाःशेषनागाः पुरोगमाः।

शिव शंकर भोलेनाथ, तेरा डमरू बाजे पर्वत पे (Shiv Shankar Bholenath Tera Damru Baje Parvat Pe)

शिव शंकर भोलेनाथ,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे,

परिवर्तनी एकादशी 2024: चातुर्मास के दौरान जब भगवान विष्णु बदलते हैं करवट, जानें इस दिन की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का बहुत महत्व है। हर एक त्योहार और व्रत से जुड़ी कई कथाएं होती हैं, जिन्हें पढ़ने और जानने से व्यक्ति को धार्मिक लाभ होते हैं।

धनवंतरि भगवान की आरती (Dhanvantri Bhagwan ki Aarti)

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने