कांच ही बांस के बहंगिया (Kaanch Hi Baans Ke Bahangiya)

कांच ही बांस के बहंगिया, 

बहंगी लचकति जाए।

बहंगी लचकति जाए।

बात जे पुछेले बटोहिया,

बेहंगी केकरा के जाए? 

बहंगी केकरा के जाए? 


तू त आन्हर हउवे रे बटोहिया, 

बहंगी छठी माई के जाए... 

बहंगी छठी माई के जाए... 

कांच ही बांस के बहंगिया, 

बहंगी लचकति जाए।

बहंगी लचकति जाए।


केरवा जे फरेला घवद से,

ओह पर सुगा मेंड़राय... 

ओह पर सुगा मेंड़राय... 

खबरी जनइबो अदित से 

सुगा देले जूठियाय 

सुगा देले जूठियाय... 

ऊ जे मरबो रे सुगवा धनुष से 

सुगा गिरे मुरछाय... 

सुगा गिरे मुरछाय... 

केरवा जे फरेला घवद से 

ओह पर सुगा मेंड़राय... 

ओह पर सुगा मेंड़राय… 


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राम सिया राम, सिया राम जय जय राम (Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram)

राम सिया राम सिया राम,
जय जय राम,

प्रदोष व्रत की कथा (Pradosh Vrat Ki Katha )

प्राचीनकाल में एक गरीब पुजारी हुआ करता था। उस पुजारी की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने भरण-पोषण के लिए पुत्र को साथ लेकर भीख मांगती हुई शाम तक घर वापस आती थी।

वाक् देवी हे कलामयी हे सुबुद्धि सुकामिनी (Vak Devi He Kalamayee He Buddhi Sukamini)

वाक् देवी हे कलामयी
हे सुबुद्धि सुकामिनी

दिवाली पूजन कथा

सनातन धर्म में दिवाली का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।

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