कब सुधि लोगे मेरे राम (Kab Sudhi Loge Mere Ram)

कब सुधि लोगे मेरे राम,

मैं तो नैन बिछाई तेरी राह में,

कब सुध लोगे मेरे राम ॥


नित उठ भोर को,

डगर बुहारूं,

मैं तो राह निहारूं,

विरह के दिन मैं,

रो रो गुजारूं मैं तो,

तुझको पुकारूँ,

लोगे खबर कब राम,

मैं तो नैन बिछाई तेरी राह में,

कब सुध लोगे मेरे राम ॥


थक नैन भी,

मन को निराशा अब,

होने लगी है,

देर करो ना प्रभु,

धीरज भी अब,

खोने लगी है,

अब एक दिन भी लागे साल,

मैं तो नैन बिछाई तेरी राह में,

कब सुध लोगे मेरे राम ॥


कब सुधि लोगे मेरे राम,

मैं तो नैन बिछाई तेरी राह में,

कब सुध लोगे मेरे राम ॥


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रात भादो की थी, छाई काली घटा(Raat Bhado Ki Thi Chhai Kali Ghata)

रात भादो की थी,
छाई काली घटा,

मैं काशी हूँ (Main Kashi Hoon)

मेरे तट पर जागे कबीर,
मैं घाट भदैनी तुलसी की,

बोलो जय जयकारे (Bolo Jay Jaikare)

ऊँचे ऊँचे भवनों बैठी रुप अनेकों धारे,
चरण चाकरी कर लो भैया,

पापमोचनी एकादशी मुहूर्त और पूजा विधि

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पापमोचनी एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना और व्रत करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति करता है।

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