कैसे दर आऊं, मैं तेरे दरश पाने को (Kaise Dar Aau Main Tere Darash Pane Ko)

कैसे दर आऊं,

मैं तेरे दरश पाने को,

हे शिव शंकर दर्शन दे दो,

अपने दीवाने को,

हे शिव शंकर दर्शन दे दो,

अपने दीवाने को ॥


जिसको भी चाहो तुम,

दर पे बुलाते बाबा,

मुझ अभागे को क्यों तुम,

हो सताते बाबा,

मुझे दर पे बुला लो,

गले अपने लगा लो,

मेरी सच्ची है भक्ति,

जो चाहे आजमा लो,

छोड़ के आऊंगा मैं,

छोड़ के आऊंगा मैं,

सारे इस ज़माने को,

हे शिव शंकर दर्शन दे दो,

अपने दीवाने को ॥


मेरे कर्मो की सजा है जो,

दरश पा ना सका,

तेरे दरबार मेरे बाबा,

मैं जो आ ना सका,

मेरे पापों को हे शिव,

ना दिल से यूँ लगाओ,

मुझे भी दे दो माफ़ी,

दरश अपने कराओ,

मन में है मूरत तेरी,

मन में है मूरत तेरी,

आऊंगा सजाने को,

हे शिव शंकर दर्शन दे दो,

अपने दीवाने को ॥


दर तेरे बाबा मैं,

क्या ले करके आऊंगा,

तू तो दानी है तुझको,

क्या मैं चढ़ाऊंगा,

पास श्रद्धा है मेरे,

जो लेके दर पे आऊं,

अपनी भक्ति के बाबा,

फुल तुझको चढाऊं,

रूठे है बाबा,

रूठे है बाबा,

आऊंगा मैं मनाने को,

हे शिव शंकर दर्शन दे दो,

अपने दीवाने को ॥


कैसे दर आऊं,

मैं तेरे दरश पाने को,

हे शिव शंकर दर्शन दे दो,

अपने दीवाने को,

हे शिव शंकर दर्शन दे दो,

अपने दीवाने को ॥

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आरती श्री कुंज बिहारी जी की (Aarti Shri Kunj Bihari Ji Ki)

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

झुमर झलके अम्बा ना, गोरा गाल पे रे(Jhumar Jhalke Amba Na Gora Gaal Pe Re)

झूमर झलके अम्बा ना,
गोरा गाल पे रे,

तेरे दरबार मे मैया खुशी मिलती है (Tere Darbar Mein Maiya Khushi Milti Hai)

तेरी छाया मे, तेरे चरणों मे,
मगन हो बैठूं, तेरे भक्तो मे ॥

फाल्गुन मास की पौराणिक कथा

फाल्गुन’ का महीना हिंदू पंचांग का अंतिम महीना होता है। इस मास की पूर्णिमा फाल्गुनी नक्षत्र में होती है। जिस कारण इस महीने का नाम फाल्गुन पड़ा है। इस महीने को आनंद और उल्लास का महीना भी कहा जाता है।

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