लोरी सुनाए गौरा मैया(Lori Sunaye Gaura Maiya)

लोरी सुनाए गौरा मैया,

झूला झूले गजानंद,

रिमझिम रिमझिम बरसे बदरिया,

रिमझिम रिमझिम बरसे बदरिया,

झूला झूले गजानंद,

लोरी सुनाए गोरा मैया,

झूला झूले गजानंद ॥


शिव शंकर का डमरू बाजे,

नारद नाचे नंदी नाचे,

ठंडी ठंडी चले पुरवैया,

ठंडी ठंडी चले पुरवैया,

झूला झूले गजानंद,

लोरी सुनाए गोरा मैया,

झूला झूले गजानंद ॥


कोई पीताम्बर पहनाए,

आँखों में कोई कजरा लगाए,

लागे ना देवा तुमको नजरिया,

लागे ना देवा तुमको नजरिया,

झूला झूले गजानंद,

लोरी सुनाए गोरा मैया,

झूला झूले गजानंद ॥


मंगल गीत यहाँ देवियां गाए,

सुर नर मुनि सब पर्व मनाए,

खुश है निरंजन सारी दुनिया,

खुश है निरंजन सारी दुनिया,

झूला झूले गजानंद,

लोरी सुनाए गोरा मैया,

झूला झूले गजानंद ॥


लोरी सुनाए गौरा मैया,

झूला झूले गजानंद,

रिमझिम रिमझिम बरसे बदरिया,

रिमझिम रिमझिम बरसे बदरिया,

झूला झूले गजानंद,

लोरी सुनाए गोरा मैया,

झूला झूले गजानंद ॥


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आंवला नवमी व्रत कथा (Amla Navami Vrat Katha)

आंवला नवमी व्रत आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रखा जाता है। आंवला नवमी के दिन ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक नामक दैत्य को मारा था और साथ ही आंवला नवमी पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा भी की थी।

शनिवार व्रत कथा और महत्व

सनातन हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है। शनिदेव को बहुत जल्दी क्रोध आता है, और इनके क्रोध से सभी बचने की कोशिश करते हैं। माना जाता है कि इनके क्रोध से व्यक्ति पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है।

जयपुर की चुनरिया मैं लाई शेरावालिये (Jaipur Ki Chunariya Me Layi Sherawaliye)

जयपुर की चुनरिया,
मैं लाई शेरावालिये,

उत्पन्ना एकादशी के नियम

उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। उत्पन्ना एकादशी की उत्पत्ति का उल्लेख प्राचीन भविष्योत्तर पुराण में मिलता है, जहां भगवान विष्णु और युधिष्ठिर के बीच एक महत्वपूर्ण संवाद में इसका वर्णन किया गया है।

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