लूटूरू महादेव चलो(Lutru Mahadev Chalo)

लूटरू महादेव जय जय,

लुटरू महादेव जी,

लूटूरू महादेव चलो,

लूटूरु महादेव जी,

सारी दुनियां ध्याए,

गाए गुण महादेव जी,

लुटरू महादेव चलो,

लूटरु महादेव जी ॥


तुम सा ना कोई जग में है दाता,

जो दर जाता है सब कुछ पाता,

झोली भर के लाता,

भाता लुटरू महादेव जी,

लूटरू महादेव जय जय,

लुटरू महादेव जी,

लूटरू महादेव चलों,

लूटरु महादेव जी ॥


है गुफा का गज़ब नज़ारा,

बाबा भारती जी ने हाथों से श्रृंगारा,

देते हैं सहारा,

मार सुटा महादेव जी,

लूटरू महादेव जय जय,

लुटरू महादेव जी,

लूटरू महादेव चलों,

लूटरु महादेव जी ॥


मेरी भी बाबा अब करो सुनवाई,

है कष्ट बहुत नहीं लगती दवाई,

बनेंगे सहाई,

‘ओम सैन’ महादेव जी,

लूटरू महादेव जय जय,

लुटरू महादेव जी,

लूटरू महादेव चलों,

लूटरु महादेव जी ॥


दर्शन को ‘अभिजीत’ है आया,

दिल की मुरादें साथ में लाया,

भजन सुनाया,

पाया वर महादेव जी,

लूटरू महादेव जय जय,

लुटरू महादेव जी,

लूटरू महादेव चलों,

लूटरु महादेव जी ॥


लूटरू महादेव जय जय,

लुटरू महादेव जी,

लूटूरू महादेव चलो,

लूटूरु महादेव जी,

सारी दुनियां ध्याए,

गाए गुण महादेव जी,

लुटरू महादेव चलो,

लूटरु महादेव जी ॥

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विनायक चतुर्थी कब है

विनायक चतुर्थी भगवान गणेश जी को समर्पित है। यह प्रत्येक महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सभी दुखों का नाश होता है।

होली की पूजा विधि और सामग्री

होली का पर्व हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार रंगों के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठानों का भी प्रतीक है। होलिका दहन से पहले पूजा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

सबसे पहला मनावा, थाने देवा रा सरदार (Sabse Pahle Manaba Thane Deva Ra Sardar)

सबसे पहला मनावा,
थाने देवा रा सरदार,

शिव के रूप में आप विराजें, भोला शंकर नाथ जी (Shiv Ke Roop Mein Aap Viraje Bhola Shankar Nath Ji)

शिव के रूप में आप विराजे,
भोला शंकर नाथ जी ॥

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