माँ देख तेरा श्रृंगार, करे दिल नाचण का(Ma Dekh Tera Shringar Kare Dil Nachan Ka)

माँ देख तेरा श्रृंगार,

करे दिल नाचण का,

नाचण का दिल नाचण का,

चाहे देखूं जितनी बार,

करे दिल नाचण का,

मां देख तेरा श्रृंगार,

करे दिल नाचण का ॥


प्यारी सूरत भोली भाली,

सोहे नथनी बिंदियाँ वाली,

प्यारा लागे गले का हार,

करे दिल नाचण का,

मां देख तेरा श्रृंगार,

करे दिल नाचण का ॥


ऐसा कोई फूल बचा ना,

जो तेरे गजरे में सजा ना,

माँ महक रहा संसार,

करे दिल नाचण का,

मां देख तेरा श्रृंगार,

करे दिल नाचण का ॥


कितना सुन्दर कितना प्यारा,

देख ले ‘सोनू’ आज नजारा,

क्या खूब सजा दरबार,

करे दिल नाचण का,

मां देख तेरा श्रृंगार,

करे दिल नाचण का ॥


माँ देख तेरा श्रृंगार,

करे दिल नाचण का,

नाचण का दिल नाचण का,

चाहे देखूं जितनी बार,

करे दिल नाचण का,

मां देख तेरा श्रृंगार,

करे दिल नाचण का ॥

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बुध त्रयोदशी व्रत कथा

एक समय की बात हे नैमिषारण्य तीर्थ में अनेकों ऋषियों ने सूत जी महाराज से पूछा, हे भगवन! हमें प्रदोष व्रतों में उत्तम बुध प्रदोष के विषय में बताइये। तब सूत जी महाराज ने कहा।

दुर्गा कवच पाठ

माता ललिता को दस महाविद्याओं की तीसरी महाविद्या माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन देवी की आराधना करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

मेरे शंकर भोले भाले, बेड़ा पार लगाते है(Mere Shankar Bhole Bhale Beda Paar Lagate Hai)

मेरे शंकर भोले भाले,
बेड़ा पार लगाते है,

किस्मत को मेरी आज, बना क्यों नहीं देते (Kismat Ko Meri Aaja Bana Kyo Nahi Dete)

किस्मत को मेरी आज,
बना क्यों नहीं देते,

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