मैं थाने सिवरू गजानन देवा - भजन (Main Thane Sivaru Gajanan Deva)

मैं थाने सिवरू गजानन देवा,

वचनों रा पालनहारा जी ओ ॥


श्लोक – सुंडाला दुःख भंजना,

सदा जो वालक वेश,

सारों पहले सुमरिये,

गवरी नन्द गणेश ॥


मैं थाने सिवरू गजानन देवा,

वचनों रा पालनहारा जी ओ,

सरस्वती मात शारदा ने सिवरू,

हिरदे करो नी उजियाला जी ओ,

निन्दरा निवारू भोलेनाथ ने,

निन्दरा निवारू भोलेनाथ ने ॥


जननी नी जायो रे,

उदर नहीं आयो,

गवरा रो लाल केवायो जी ओ,

गवरा रो लाल केवायो जी ओ,

मै थाने सिवरू गजानन देवा,

वचनों रा पालनहारा जी ओ,

निन्दरा निवारू भोलेनाथ ने ॥


पाणी सु पतलो,

पवण सु है झीणो,

शोभा वरणी नी जाए जी ओ,

शोभा वरणी नी जाए जी ओ,

मै थाने सिवरू गजानन देवा,

वचनों रा पालनहारा जी ओ,

निन्दरा निवारू भोलेनाथ ने ॥


हाथ पसारु हीरो,

हाथ में नी आवे,

मुठियाँ में नहीं रे समावे जी ओ,

मुठियाँ में नहीं रे समावे जी ओ,

मै थाने सिवरू गजानन देवा,

वचनों रा पालनहारा जी ओ,

सरस्वती मात शारदा ने सिवरू,

हिरदे करो नी उजियाला जी ओ,

निन्दरा निवारू भोलेनाथ ने,

निन्दरा निवारू भोलेनाथ ने ॥


बोलिया गोरख जद,

मछेन्दर रा चेला,

पत बाने वाळी राखो जी ओ,

पत बाने वाळी राखो जी ओ,

मै थाने सिवरू गजानन देवा,

वचनों रा पालनहारा जी ओ,

सरस्वती मात शारदा ने सिवरू,

हिरदे करो नी उजियाला जी ओ,

निन्दरा निवारू भोलेनाथ ने,

निन्दरा निवारू भोलेनाथ ने ॥


मै थाने सिवरू गजानन देवा,

वचनों रा पालनहारा जी ओ,

सरस्वती मात शारदा ने सिवरू,

हिरदे करो नी उजियाला जी ओ,

निन्दरा निवारू भोलेनाथ ने,

निन्दरा निवारू भोलेनाथ ने ॥

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गणेश जी की आरती व मंत्र

प्रत्येक महीने दो पक्ष होते हैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है, जबकि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी कहलाती है। मार्गशीर्ष महीने में मनाई जाने वाली विनायक चतुर्थी भगवान गणेश की कृपा पाने का उत्तम समय है।

अनमोल तेरा जीवन, यूँ ही गँवा रहा है (Anmol Tera Jeevan Yuhi Ganwa Raha Hai)

अनमोल तेरा जीवन,
यूँ ही गँवा रहा है,

मणिकर्णिका घाट स्नान

वैकुंठ चतुर्दशी के दिन मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही भगवान शिव व विष्णु की कृपा भी प्राप्त होती है। 14 नवंबर को मणिकर्णिका स्नान का विधान है।

लक्ष्मी पूजन मंत्र (Laxmi Pujan Mantra)

सबसे पहले माता लक्ष्मी का ध्यान करें :– ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी।

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