मैया तुम्हारे चरणों में (Maiya Tumhare Charno Me)

मिलता है सच्चा सुख केवल,

मैया तुम्हारे चरणों में,

यह विनती है हर पल मैया,

रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में,

मिलता है सच्चा सुख केवल ॥


चाहे बैरी जग संसार बने,

चाहे जीवन मुझ पर भार बने,

चाहे मौत गले का हार बने,

रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में,

मिलता है सच्चा सुख केवल ॥


चाहे अग्नि में मुझे जलना हो,

चाहे कांटो पे मुझे चलना हो,

चाहे छोड़ के देश निकलना हो,

रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में,

मिलता है सच्चा सुख केवल ॥


चाहे संकट ने मुझे घेरा हो,

चाहे चारों और अंधेरा हो,

पर मन नहीं डगमग मेरा हो,

रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में,

मिलता है सच्चा सुख केवल ॥


जिव्हा पे तुम्हारा नाम रहे,

तेरा ध्यान सुबह और शाम रहे,

तेरी याद मे आठों याम रहे,

रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में,

मिलता है सच्चा सुख केवल ॥


मिलता है सच्चा सुख केवल,

मैया तुम्हारे चरणों में,

यह विनती है हर पल मैया,

रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में,

मिलता है सच्चा सुख केवल ॥

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चलो शिव शंकर के मंदिर में भक्तो (Chalo Shiv Shankar Ke Mandir Me Bhakto)

लिया नाम जिसने भी शिवजी का मन से,
उसे भोले शंकर ने अपना बनाया ।

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे (Main Radha Vallabh Ki, Radha Vallabh Mere)

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे
मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे

बजरंगी महाराज, तुम्हे भक्त बुलाते है (Bajrangi Maharaj Tumhe Bhakt Bulate Hai)

बजरंगी महाराज,
तुम्हे भक्त बुलाते है,

जब निर्वस्त्र होकर नहा रहीं गोपियों को नटखट कन्हैया ने पढ़ाया मर्यादा का पाठ

भगवान विष्णु ने रामावतार लेकर जगत को मर्यादा सिखाई और वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। वहीं कृष्णावतार में भगवान ने ज्यादातर मौकों पर मर्यादा के विरुद्ध जाकर अपने अधिकारों की रक्षा और सच को सच कहने साहस हम सभी को दिखाया।

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