मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल (Mere Lakhan Dulare Bol Kachhu Bol)

मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल,

मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल,

भैया भैया कह के, भैया भैया कह के,

रस प्राणों में घोल,

मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल ॥


इस धरती पे और ना होगा,

मुझ जैसा हतभागा,

मेरे रहते बाण शक्ति का,

तेरे तन में लागा,

जा नहीं सकता तोड़ के ऐसे,

मुझसे नेह का धागा,

मैं भी अपने प्राण तजूँगा,

आज जो तू नहीं जागा,

अंखियो के तारे, अंखियो के तारे,

लल्ला अंखिया तू खोल,

मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल,

मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल ॥


बीती जाए रेन पवनसुत,

क्यों अब तक नहीं आए,

बुझता जाए आस का दीपक,

मनवा धीर गंवाए,

सूर्य निकलकर सूर्य वंश का,

सूर्य डुबो ना जाए,

बिना बुलाये बोलने वाला,

बोले नहीं बुलाये,

चुप चुप रहके, चुप चुप रहके,

मेरा धीरज ना तोल,

मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल,

मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल ॥


मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल,

मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल,

भैया भैया कह के भैया भैया कह के,

रस प्राणों में घोल,

मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल ॥

........................................................................................................
मुझे राधे-राधे कहना सिखादे (Mujhe Radhe Radhe Kahana Shikhade)

मुझे राधे राधे कहना सिखा दे
कन्हैयाँ तेरा क्या बिगड़े,

गाइये गणपति जगवंदन (Gaiye Ganpati Jagvandan)

गाइये गणपति जगवंदन ।
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥

श्री प्रेतराज चालीसा (Shree Pretraj Chalisa)

गणपति की कर वंदना, गुरू चरनन चितलाये।
प्रेतराज जी का लिखूं, चालीसा हरषाय।

आश्विन मास शुक्ल पक्ष की पापांकुशा एकादशी (Ashvin Maas Shukla Paksh Ki Paapaankusha Ekaadashi)

युधिष्ठिर ने फिर पूछा-जनार्दन ! अब आप कृपा कर आश्विन शुक्ल एकादशी का नाम और माहात्म्य मुझे सुनाइये। भगवान् कृष्ण बोले राजन् !

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।