मेरे मन मंदिर में तुम भगवान रहे (Mere Man Mandir Me Tum Bhagwan Rahe)

मेरे मन मंदिर में तुम भगवान रहे,

मेरे दुःख से तुम कैसे अनजान रहे

मेरे घर में कितने दिन मेहमान रहे,

मेरे दुःख से तुम कैसे अनजान रहे

गणपती बाप्पा मोरया,

अगले बरस तू जल्दी आ ॥


कितनी उम्मीदे बंध जाती है तुम से,

तुम जब आते हो,

अब के बरस देखे क्या दे जाते हो,

क्या ले जाते हो ॥


गणपती बाप्पा मोरया,

अगले बरस तू जल्दी आ ॥


अपने सब भक्तो का तुम को ध्यान रहे

मेरे दुःख से तुम कैसे अनजान रहे ॥


आना जाना जीवन है,

जो आया कैसे जाए ना,

खिलने से पहले ही लेकिन,

फूल कोई मुरझाये ना।

गणपती बाप्पा मोरया,

अगले बरस तू जल्दी आ,

न्याय अन्याय की कुछ पहचान रहे

मेरे दुःख से तुम कैसे अनजान रहे ॥


असुवन का कतरा कतरा,

सागर से भी है गहरा

इसमे डूब ना जाऊं मै,

तुम्हारी जय जय गाऊं में ॥


वरना अब जब आओगे,

तुम मुझको ना पाओगे

तुम को कितना दुःख होगा,

गणपती बाप्पा मोरया।

अपनी जान के बदले अपनी,

जान मै अर्पण करता हूँ,

आखरी दर्शन करता हूँ,

अब मै विसर्जन करता हुं,

गणपती बाप्पा मोरया,

अगले बरस तू जल्दी आ ॥


मेरे मन मंदिर में तुम भगवान रहे,

मेरे दुःख से तुम कैसे अनजान रहे ॥

........................................................................................................
कावड़ उठाले ध्यान, शिव का लगा ले (Kawad Utha Le Dhyan Shiv Ka Laga Le)

कावड़ उठाले ध्यान,
शिव का लगाले ॥

जय राधा माधव, जय कुन्ज बिहारी (Jai Radha Madhav, Jai Kunj Bihari)

जय राधा माधव,
जय कुन्ज बिहारी

सरस्वती अमृतवाणी (Saraswati Amritwani)

सुरमय वीणा धारिणी,
सरस्वती कला निधान,

एकादशी व्रत का महत्व

सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। बता दें कि साल में कुल 24 एकदशी पड़ती हैं। हर एकादशी का अपना अलग महत्व होता है। ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।