मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना (Mujhe Ras Agaya Hai Tere Dar Pe Sar Jhukana)

मुझे रास आ गया है,

तेरे दर पे सर झुकाना ।

तुझे मिल गया पुजारी,

मुझे मिल गया ठिकाना ॥


मुझे कौन जानता था,

तेरी बंदगी से पहले ।

तेरी याद ने बना दी,

मेरी ज़िन्दगी फ़साना ॥


मुझे इसका गम नहीं है,

की बदल गया ज़माना ।

मेरी ज़िन्दगी के मालिक,

कहीं तुम बदल न जाना ॥


यह सर वो सर नहीं है,

जिसे रख दूँ फिर उठा लूं ।

जब चढ़ गया चरण में,

आता नहीं उठाना ॥


तेरी सांवरी सी सुरत,

मेरे मन में बस गयी है ।

ऐ सांवरे सलोने,

अब और ना सताना ॥


दुनियां की खा के ठोकर,

मैं आया तेरे द्वारे ।

मेरे मुरली वाले मोहन,

अब और ना सताना ॥


मेरी आरजु यही है,

दम निकले तेरे दर पे ।

अभी सांस चल रही है,

कहीं तुम चले ना जाना ॥


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उनकी रेहमत का झूमर सजा है (Unki Rehmat Ka Jhoomar Saja Hai)

उनकी रेहमत का झूमर सजा है ।
मुरलीवाले की महफिल सजी है ॥

दिवाली पूजन कथा

सनातन धर्म में दिवाली का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।

माघ कृष्ण की षट्तिला एकादशी (Magh Krishna ki Shattila Ekaadashee)

एक समय दालभ्यजी ने प्रजापति ब्रह्माजी के पुत्र पुलस्त्य जी से प्रश्न किया कि प्रभो! क्या कोई ऐसी भी शक्ति या उपाय है कि जिसके करने से ब्रह्महत्या करने इत्यादि के कुटिल कर्मों के पापों से मनुष्य सरलता पूर्वक छूट जाय भगवन् !

शनि त्रयोदशी के उपाय

शनि देव 9 ग्रहों में सबसे धीमी चाल चलने वाले ग्रह हैं। इसी कारण शनि देव 1 राशि में साढ़े सात साल तक विराजमान रहते हैं। इसी वजह से ही राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चलती है।

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