ओ जंगल के राजा, मेरी मैया को ले के आजा (O Jungle Ke Raja Meri Maiya Ko Leke Aaja)

ओ जंगल के राजा,

मेरी मैया को ले के आजा,

मैंने आस की ज्योत जगाई,

मेरे नैनो में माँ है समाई,

मेरे सपने सच तू बना जा,

मेरी माँ को ले के आजा आजा,

ओं जंगल के राजा,

मेरी मैया को ले के आजा ॥


हरपल माँ के संग विराजो,

धन्य तुम्हारी भक्ति है,

शक्ति का तुम बोझ उठाते,

गज़ब तुम्हारी शक्ति है,

तेरे सुन्दर नैन कटीले,

ओ रंग के पीले पीले,

मेरी माँ मुझसे मिला जा आजा,

ओं जंगल के राजा,

मेरी मैया को ले के आजा ॥


पवन रुपी माँ के प्यारे,

चाल पवन की आ जाओ,

देवों की आँखो के तारे,

आओ कर्म कमा जाओ,

आ गहनों से तुम्हे सजाऊँ,

पावों में घुंघरू पहनाऊं,

मैं बजांऊ ढोल और बाजा,

ओं जंगल के राजा,

मेरी मैया को ले के आजा ॥


पाके सन्मुख भोली माँ को,

दिल की बातें कर लूँ मैं,

प्यास बुझा लूँ जन्मों की और,

खाली झोली भर लूँ मैं,

माथे चरणों धूल लगा लूँ,

मैं सोया नसीब जगा लूँ,

मेरे दुःख संताप मिटाजा आजा,

ओं जंगल के राजा,

मेरी मैया को ले के आजा ॥


माँ कहेगी बेटा मुझको,

मैं माँ कहके बुलाऊंगा,

ममतारुपी वरदानी से,

वर मुक्ति का पाऊंगा,

सारी दुनिया से जो न्यारी,

छवि सुन्दर ‘अतुल’ प्यारी,

उस माँ का दर्श दिखा जा आजा,

ओं जंगल के राजा,

मेरी मैया को ले के आजा ॥


ओ जंगल के राजा,

मेरी मैया को ले के आजा,

मैंने आस की ज्योत जगाई,

मेरे नैनो में माँ है समाई,

मेरे सपने सच तू बना जा,

मेरी माँ को ले के आजा आजा,

ओं जंगल के राजा,

मेरी मैया को ले के आजा ॥

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नौरता की रात मैया, गरबे रमवा आणो है (Norta ki Raat Maiya Garba Rambwa Aano Hai)

नौरता की रात मैया,
गरबे रमवा आणो है,

तेरा जग है करें गुणगान, गजानन लम्बोदर(Tera Jag Hai Kare Gunagaan Gajaanan Lambodar)

तेरा जग है करे गुणगान,
गजानन लम्बोदर,

दीपावली पूजन के लिए संकल्प मंत्रः (Dipawali Pujan ke liye Sankalp Mantra)

ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ऊं तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य

धन्वंतरि स्तोत्र (Dhanvantari Stotram)

ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥

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