ब्रजराज ब्रजबिहारी! इतनी विनय हमारी (Brajaraj Brajbihari Itni Vinay Hamari)

ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे

इतनी विनय हमारी, वृन्दा-विपिन बसा ले


कितने दरों पे भटके, कितने ही दर बनाये

अब तेरे हो रहें हैं, जायें न हम निकाले

ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे


जोड़ी तेरी हमारी कैसी रची विधाता

जो तुम हो तन के काले, हम भी हैं मन के काले

ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे


लाखों को अपना समझे, लाखों के हो लिये हम

अब तेरे हो रहे हैं, अपना हमें बना ले

ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे


राज़ी तेरी रज़ा में, अपनी बनी या बिगड़े

नाचेंगे हम तो नटवर जैसा हमें नचा ले

ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे

इतनी विनय हमारी, वृन्दा-विपिन बसा ले

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जिन पर कृपा राम करे (Jin Par Kirpa Ram Kare)

राम नाम आधार जिन्हें,
वो जल में राह बनाते हैं,

शिवजी से दिल लगा ले (Shivji Se Dil Lagale)

शिवजी से दिल लगा ले,
शिव जी है भोले भाले,

ओ विष पीने वाले छुपा तू किधर है: शिव भजन (Oh Vish Pine Wale Chupa Tu Kidhar Hai)

मेरी जिंदगी में ग़मों का ज़हर है,
विष पीने वाले छुपा तू किधर है,

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