ओ शंकर मेरे, कब होंगे दर्शन तेरे (O shankar Mere Kab Honge Darshan Tere)

ओ शंकर मेरे,

कब होंगे दर्शन तेरे,

जीवन पथ पर शाम सवेरे,

जीवन पथ पर शाम सवेरे,

छाए है घनघोर अँधेरे,

ओ शंकर मेरें,

कब होंगे दर्शन तेरे ॥


मैं मूरख तू अंतर्यामी,

मैं मूरख तू अंतर्यामी,

मैं सेवक तू मेरा स्वामी,

मैं सेवक तू मेरा स्वामी,

काहे मुझसे नाता तोड़ा,

मन छोड़ा मंदिर भी छोड़ा,

कितनी दूर लगाये तूने,

जा कैलाश पे डेरे,

ओ शंकर मेरें,

कब होंगे दर्शन तेरे ॥


तेरे द्वार पे ज्योत जगाते,

तेरे द्वार पे ज्योत जगाते,

युग बीते तेरे गुण गाते,

युग बीते तेरे गुण गाते,

ना मांगू मैं हीरे मोती,

मांगू बस थोड़ी सी ज्योति,

खाली हाथ न जाऊँगा मैं,

दाता द्वार से तेरे,

ओ शंकर मेरें,

कब होंगे दर्शन तेरे ॥


ओ शंकर मेरे,

कब होंगे दर्शन तेरे,

जीवन पथ पर शाम सवेरे,

जीवन पथ पर शाम सवेरे,

छाए है घनघोर अँधेरे,

ओ शंकर मेरें,

कब होंगे दर्शन तेरे ॥

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जय हो बाबा विश्वनाथ (Jay Ho Baba Vishwanath)

जय हो बाबा विश्वनाथ,
जय हो भोले शंकर,

चलो चलिए माँ के धाम, मैया ने बुलाया है (Chalo Chaliye Maa Ke Dham Bulawa Aaya Hai)

चलो चलिए माँ के धाम,
मैया ने बुलाया है,

लाऊँ कहाँ से, भोलेनाथ तेरी भंगिया(Lau Kaha Se Bhole Nath Teri Bhangiya)

लाऊँ कहाँ से,
भोलेनाथ तेरी भंगिया,

बसंत पंचमी क्या भोग लगाएं

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। इसी कारण से हर वर्ष इस तिथि को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

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