रामा रामा रटते रटते, बीती रे उमरिया (Rama Rama Ratate Ratate)

श्री राम नवमी, विजय दशमी, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से गाये जाने वाला भजन।


रामा रामा रटते रटते,

बीती रे उमरिया ।

रघुकुल नंदन कब आओगे,

भिलनी की डगरिया ॥


मैं शबरी भिलनी की जाई,

भजन भाव ना जानु रे ।

राम तेरे दर्शन के हित,

वन में जीवन पालूं रे ।

चरणकमल से निर्मल करदो,

दासी की झोपड़िया ॥

॥ रामा रामा रटते रटते..॥


रोज सवेरे वन में जाकर,

फल चुन चुन कर लाऊंगी ।

अपने प्रभु के सन्मुख रख के,

प्रेम से भोग लगाऊँगी ।

मीठे मीठे बेरों की मैं,

भर लाई छबरिया ॥

॥ रामा रामा रटते रटते..॥


श्याम सलोनी मोहिनी मूरत,

नैयनो बीच बसाऊंगी ।

सुबह शाम नित उठकर मै तो,

तेरा ध्यान लगाऊँगी ।

[Extra/Optional]

पद पंकज की रज धर मस्तक,

जीवन सफल बनाउंगी ।

अब क्या प्रभु जी भूल गए हो,

दासी की डगरिया ॥

॥ रामा रामा रटते रटते..॥


नाथ तेरे दर्शन की प्यासी,

मैं अबला इक नारी हूँ ।

दर्शन बिन दोऊ नैना तरसें,

सुनलो बहुत दुखारी हूँ ।

हरी रूप में दर्शन देदो,

डालो एक नजरिया ॥

॥ रामा रामा रटते रटते..॥


रामा रामा रटते रटते,

बीती रे उमरिया ।

रघुकुल नंदन कब आओगे,

भिलनी की डगरिया ॥

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