शेंरावाली दा चोला सुहा लाल, लाल माँ नु प्यारा लागे (Sherawali Da Chola Suha Lal Lal Maa Nu Pyara Lage)

शेरावाली दा चोला सुहा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे ॥


मैया जी दे सिर उते चुनरी है सजदी,

मैया जी दे सिर उते चुनरी है सजदी,

माँ दी चुनरी दा रंग सुहा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे,

शेंरावाली दा चोला सुहा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे ॥


मैया जी दे मत्थे उते बिंदिया चमकदी,

मैया जी दे मत्थे उते बिंदिया चमकदी,

माँ दी बिंदिया दा रंग भी है लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे,

शेंरावाली दा चोला सुहा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे ॥


मैया जी दे हत्था विच मेहंदी महकदी,

मैया जी दे हत्था विच मेहंदी महकदी,

माँ दी मेहंदी दा रंग गहरा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे,

शेंरावाली दा चोला सुहा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे ॥


मैया जी दी बाहि विच चुड़िया खनकती,

माँ दी चूड़ियां दा रंग भी है लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे,

शेंरावाली दा चोला सुहा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे ॥


‘संजू बिमला’ तो माँ दा श्रृंगार करदी,

‘संजू बिमला’ तो माँ दा श्रृंगार करदी,

‘राणा’ लिखे गुण बण तेरा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे,

शेंरावाली दा चोला सुहा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे ॥


शेरावाली दा चोला सुहा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे ॥

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इस दिन पड़ेगी साल की आखिरी शिवरात्रि

हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। यह पर्व भगवान शिव को समर्पित है और हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। श्रद्धालु इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।

थाईपुसम क्यों मनाया जाता है

हिंदू धर्म में, थाईपुसम एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। यह त्योहार विशेषकर तमिल समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार माघ माह के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शंकर भगवान के बड़े पुत्र भगवान मुरुगन यानि कार्तिकेय की पूजा की जाती है।

Shri Vishnu Chalisa (श्री विष्णु चालीसा)

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

वैकुंठ धाम कहां है

वैकुण्ठ धाम एक ऐसा स्थान है जहां कर्महीनता नहीं है, निष्क्रियता नहीं है। कहते हैं कि मरने के बाद पुण्य कर्म करने वाले लोग स्वर्ग या वैकुंठ जाते हैं। सनातन धर्म में बैकुंठ धाम की बहुत चर्चा होती है।

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