तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार(Tera Ramji Karenge Bera Paar)

राम नाम सोहि जानिये,

जो रमता सकल जहान

घट घट में जो रम रहा,

उसको राम पहचान

तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार,

उदासी मन काहे को करे ।


तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार,

उदास मन काहे को करे ।

काहे को करे रे, काहे को करे,

काहे को करे, काहे को करे..


तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार,

उदासी मन काहे को करे रे ।

तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार,

उदासी मन काहे को करे ।

काहे को करे रे, काहे को करे,

काहे को करे, काहे को करे..


नैया तेरी राम हवाले,

लहर लहर हरि आप सँभाले ।

नैया तेरी राम हवाले,

लहर लहर हरि आप संभालें ।

हरि आप ही उठावे तेरा भार,

उदास मन काहे को करे ॥

॥ तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार...॥


काबू में मँझधार उसी के,

हाथों में पतवार उसी के ।

काबू में मँझधार उसी के,

हाथों में पतवार उसी के ।

तेरी हार भी नहीं है तेरी हार,

उदासी मन काहे को करे ॥

॥ तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार...॥


सहज किनारा मिल जायेगा,

परम सहारा मिल जायेगा ।

सहज किनारा मिल जायेगा,

परम सहारा मिल जायेगा ।

डोरी सौंप के तो देख एक बार,

उदास मन काहे को करे ॥

॥ तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार...॥


तू निर्दोष तुझे क्या डर है,

पग पग पर साथी ईश्वर है ।

तू निर्दोष तुझे क्या डर है,

पग पग पर साथी ईश्वर है ।

जरा भावना से कीजिये पुकार,

उदास मन काहे को करे ॥

॥ तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार...॥


तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार,

उदासी मन काहे को करे ।

तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार,

उदास मन काहे को करे ।

काहे को करे रे, काहे को करे,

काहे को करे, काहे को करे..


तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार,

उदासी मन काहे को करे रे ।

तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार,

उदासी मन काहे को करे ।

........................................................................................................
साल में दो दिन क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी, जानिए स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय के बारे में जो मनाते हैं अलग-अलग जन्माष्टमी?

जन्माष्टमी का त्योहार दो दिन मनाने के पीछे देश के दो संप्रदाय हैं जिनमें पहला नाम स्मार्त संप्रदाय जबकि दूसरा नाम वैष्णव संप्रदाय का है।

मेरी बालाजी सुनेंगे फरियाद(Meri Balaji Sunenge Fariyad)

मेरी बालाजी सुनेंगे फरियाद,
बालाजी ज़रूर सुनेंगे,

श्री चित्रगुप्त चालीसा (Shri Chitragupta Chalisa)

कुल गुरू को नमन कर, स्मरण करूँ गणेश ।
फिर चरण रज सिर धरहँ, बह्मा, विष्णु, महेश ।।

रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं

रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। यह पर्व प्रतिवर्ष सावन माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन बहनें पूजा करके अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी सफलता एवं दीर्घायु की कामना करती हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।