थोड़ा देता है या ज्यादा देता है (Thoda Deta Hai Ya Jyada Deta Hai)

थोड़ा देता है या ज्यादा देता है,

हमको तो जो कुछ भी देता,

भोला देता है,

थोड़ा देता हैं या ज्यादा देता हैं ॥


हमारे पास जो कुछ भी है,

ईसी की है मेहरबानी,

हमेशा भेजता रहता,

कभी दाना कभी पानी,

थोड़ा देता हैं या ज्यादा देता हैं,

हमको तो जो कुछ भी देता,

भोला देता है,

थोड़ा देता हैं या ज्यादा देता हैं ॥


हमेशा भूखे उठते है,

कभी भूखे नहीं सोते,

भला तकलीफ हो कैसी,

हमारे भोले के होते,

थोड़ा देता हैं या ज्यादा देता हैं,

हमको तो जो कुछ भी देता,

भोला देता है,

थोड़ा देता हैं या ज्यादा देता हैं ॥


दीया जो भोले बाबा ने,

कभी कर्जा नहीं समझा,

दयालु भोले ने हमको,

हमेशा अपना ही समझा,

थोड़ा देता हैं या ज्यादा देता हैं,

हमको तो जो कुछ भी देता,

भोला देता है,

थोड़ा देता हैं या ज्यादा देता हैं ॥


हमने ‘बनवारी’ हरदम ही,

बड़े अधिकार से मांगा,

खुशी से इसने दे डाला,

जो भी दातार से मांगा,

थोड़ा देता हैं या ज्यादा देता हैं,

हमको तो जो कुछ भी देता,

भोला देता है,

थोड़ा देता हैं या ज्यादा देता हैं ॥


थोड़ा देता है या ज्यादा देता है,

हमको तो जो कुछ भी देता,

भोला देता है,

थोड़ा देता हैं या ज्यादा देता हैं ॥

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लिङ्गाष्टकम् (Lingashtakam)

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥

मेरे प्रभु राम आये हैं(Mere Prabhu Ram Aye Hain)

राम लक्ष्मण जानकी,
जय बोलो हनुमान

नर्मदा नदी की कथा

नर्मदा नदी पहाड़, जंगल और कई प्राचीन तीर्थों से होकर गुजरती हैं। वेद, पुराण, महाभारत और रामायण सभी ग्रंथों में इसका जिक्र है। इसका एक नाम रेवा भी है। माघ माह में शुक्ल पक्ष सप्तमी को नर्मदा जयन्ती मनायी जाती है।

कार्तिक पूर्णिमा पर धन लाभ

कार्तिक माह सनातन धर्म में अत्यंत शुभ है। इस महीने में श्रद्धालु पवित्र नदियों के किनारे पर समय बिताते हैं या फिर घरों में तुलसी और केले के पौधों की पूजा करते हैं और प्रतिदिन दीप जलाते हैं।

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