ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की (Na Jee Bhar Ke Dekha Naa Kuch Baat Ki)

ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ।

करो दृष्टि अब तो प्रभु करुना की,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥


गए जब से मथुरा वो मोहन मुरारी,

सभी गोपिया बृज में व्याकुल थी भारी ।

कहा दिन बिताया, कहाँ रात की,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥


चले आयो अब तो ओ प्यारे कन्हिया,

यह सूनी है कुंजन और व्याकुल है गैया ।

सूना दो अब तो इन्हें धुन मुरली की,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥


हम बैठे हैं गम उनका दिल में ही पाले,

भला ऐसे में खुद को कैसे संभाले ।

ना उनकी सुनी ना कुछ अपनी कही,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥


तेरा मुस्कुराना भला कैसे भूलें,

वो कदमन की छैया, वो सावन के झूले ।

ना कोयल की कू कू, ना पपीहा की पी,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥


तमन्ना यही थी की आएंगे मोहन,

मैं चरणों में वारुंगी तन मन यह जीवन ॥

हाय मेरा यह कैसा बिगड़ा नसीब,

बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥

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जम्मू में माँ मात वैष्णो, कलकत्ते में काली (Jammu Mein Maa Maat Vaishno Kalkatte Mein Kali)

जम्मू में माँ मात वैष्णो,
कलकत्ते में काली,

प्रदोष व्रत की कथा

हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। पंचांग के मुताबिक साल 2025 का पहला प्रदोष व्रत 11 जनवरी को रखा जाएगा, इस दिन शनिवार होने के कारण यह शनि प्रदोष भी कहलाएगा।

सुध ले लो मेरी घनश्याम - भजन (Sudh Le Lo Meri Ghanshyam)

सुध ले लो मेरी घनश्याम,
आप आए नहीं,

Gurudev Daya Karke Mujhko Apna Lena (गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना)

मैं शरण पड़ा तेरी चरणों में जगह देना,
गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना ।

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