मार्च में 7 तारीख के बाद नहींं होंगे मांगलिक कार्य

होलाष्टक और खरमास का विशेष संयोग, 7 मार्च से नहीं होंगे मांगलिक कार्य


होलिका दहन से पहले 8 दिन होलाष्टक तिथि लगती है जिसमें कोई मांगलिक कार्य नहीं होता है। पुराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि यह समय भक्त प्रह्लाद पर किए गए अत्याचारों को दर्शाता है। साथ ही इस समय ग्रह के नक्षत्र भी सही नहीं रहते हैं, जिससे नकारात्मक ऊर्जा बनने का संयोग होता है। इसके बाद खरमास शुरू होता है जिसमें मांगलिक कार्य करना पूरी तरह वर्जित होता है। मान्यताओं के अनुसार जब सूर्य भगवान मीन राशि में प्रवेश करते हैं तब खरमास शुरू होता है, और यह लगभग एक महीने तक रहता है।

कब से शुरू हो रहा है होलाष्टक और खरमास का संयोग


होलाष्टक की शुरुआत फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होती है और पूर्णिमा के दिन होलाष्टक तिथि खत्म होती है। इस बार यह तिथि 7 मार्च से लेकर 14 मार्च तक पड़ रही है। वहीं अगर बात करें खरमास की, तो यह लगभग एक महीने का होता है, जो इस बार 14 मार्च से लेकर 13 अप्रैल तक चलेगा। यानी इस साल 7 मार्च से लेकर 13 अप्रैल तक होलाष्टक और खरमास का बनेगा संयोग, जिससे इतने दिन नहीं होंगे कोई मांगलिक कार्य।


होलाष्टक और खरमास के बनने वाले संयोग में न करें ये काम


होलाष्टक और खरमास की तिथियां खास कर ग्रह की परिस्थितियों के अनुसार उत्पन्न होती हैं। हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार सब कुछ ग्रहों की दशा देख कर ही करना चाहिए जिससे वह काम शुभ और सफल हो। इसलिए आइए जानें क्या होलाष्टक और खरमास में नहीं करना चाहिए:

  • हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार इस समय में विवाह करना वर्जित है।
  • सगाई या उससे संबंधित कोई भी समारोह करना।
  • घर खरीदना या गृहप्रवेश पूजा करना।
  • निवेश करना या नया व्यवसाय शुरू करना।
  • कार या कोई भी महत्वपूर्ण वस्तु खरीदना।
  • मुंडन करना या कोई विशेष पूजा करना।

अगर इस समय अति आवश्यक और जरूरी है तो आप भगवान विष्णु का नाम लेकर वह मांगलिक कार्य कर सकते हैं, पर प्रयास करें कि होलाष्टक और खरमास में इन मांगलिक कार्यों को करने से बचें। फिर 14 अप्रैल से कर सकते हैं कोई भी मांगलिक कार्य।

........................................................................................................
होली रे होली बरसाने की होली (Holi Re Holi Barsane Ki Holi)

राधा कृष्ण ने मिल कर खेली बरसाने की होली,
संग किशन के ग्वाल सखा है सखियाँ राधा टोली,

मुझे तेरा सहारा सदा चाहिए (Mujhe Tera Sahara Sada Chahiye)

आसरा इस जहाँ का मिले न मिले,
मुझे तेरा सहारा सदा चाहिए ॥

माँ दिल के इतने करीब है तू(Maa Dil Ke Itne Kareeb Hai Tu)

माँ दिल के इतने करीब है तू,
जिधर भी देखूं नज़र तू आए,

हे सरस्वती माँ ज्ञान की देवी किरपा करो(Hey Saraswati Maa Gyan Ki Devi Kirpa Karo)

हे सरस्वती माँ ज्ञान की देवी किरपा करो
देकर वरदान हे मात मेरा अज्ञान हरो

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।