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हे रोम रोम मे बसने वाले राम(Hey Rom Rom Main Basne Wale Ram)

हे रोम रोम मे बसने वाले राम,

जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,

मे तुझ से क्या माँगू ।


आप का बंधन तोड़ चुकी हूँ ,

तुझ पर सब कुछ छोड़ चुकी हूँ ।

नाथ मेरे मै, क्यूं कुछ सोचूं,

तू जाने तेरा काम॥

जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,

मे तुझ से क्या माँगू ।

हे रोम रोम मे बसने वाले राम ॥


हे रोम रोम मे बसने वाले राम,

जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,

मे तुझ से क्या माँगू ।


तेरे चरण की धुल जो पायें,

वो कंकर हीरा हो जाएँ ।

भाग्य मेरे जो, मैंने पाया,

इन चरणों मे ध्यान ॥

जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,

मे तुझ से क्या माँगू ।


हे रोम रोम मे बसने वाले राम,

जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,

मे तुझ से क्या माँगू ।


भेद तेरा कोई क्या पहचाने,

जो तुझ सा को वो तुझे जाने ।

तेरे किये को, हम क्या देवे,

भले बुरे का नाम ॥

जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,

मे तुझ से क्या माँगू ।


हे रोम रोम मे बसने वाले राम,

जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,

मे तुझ से क्या माँगू ।


हे रोम रोम मे बसने वाले राम,

जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,

मे तुझ से क्या माँगू ।

सजा है प्यारा दरबार बाबा का (Saja Hai Pyara Darbar Baba Ka)

सजा है प्यारा दरबार बाबा का,
भक्तों ने मिलकर के किया है,

मीन संक्रांति की तिथि और मुहूर्त

मान्यता के अनुसार मीन संक्रांति तब मनाई जाती है जब भगवान सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं, और यह फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होता है।

आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया (Aaj Mithila Nagariya Nihar Sakhiya)

आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया,
चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!

सूर्य मंत्र

ॐ सूर्याय नमः
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकरः