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मैं तो अपने मोहन की प्यारी (Me Too Apne Mohan Ki Pyari, Sajan Mero Girdhari)

मैं तो अपने मोहन की प्यारी,

सजन मेरो गिरधारी,

सजन मेरो गिरधारी,

गिरधारी गिरधारी,

गिरधारी गिरधारी,

मैं तो अपने मोहन की प्यारी,

सजन मेरो गिरधारी।।


कौन रूप कौन रंग,

अंग शोभा कहु सखी,

कबहु ना देखी सोहणी,

छवि वो निराली है,

तन मन धन वारी,

साँवरी सूरत प्यारी,

माधुरी मधुर तीनो,

लोकन ते न्यारी है,


मुकुट लटक धारयो,

रहयो मतवारो है,

ऐन सेन नैन बेन,

जग उजियारो है,

ऐसो है रे मेरो गिरधारी,

ऐसो है रे मेरो गिरधारी,

मैं तो अपनें मोहन की प्यारी,

सजन मेरो गिरधारी।।


आके माथे पे मुकुट देख,

चंद्र का चटक देख,

ऐरी छवि की लटक देख,

रूप रस पीजिए,

लोचन विशाल देख,

गले गूँज माल देख,

अधर सुलाल देख,

नैन रस लीजिए,


पीताम्बर की छोर देख,

मुरली की और देख,

सांवरे की और देख,

देखते ही रीझिए,

ऐसो है रे मेरो गिरधारी,

ऐसो है रे मेरो गिरधारी,

मैं तो अपनें मोहन की प्यारी,

सजन मेरो गिरधारी।।


को कहो कुलटा,

कुलीन अकुलीन कोउ,

को कहो रंकन,

कलंकन कुंनारी हूँ,

कैसो देवलोक,

परलोक त्रिलोक मैं तो,

तीनो अलोक लोक,

लिंकन ते न्यारी हूँ,


तन तजू धन तजू,

देव गुरु जान तजू,

नेह क्यो ना जाऊँ,

नैन सांवरे पे वारी है,

ऐसो है रे मेरो गिरधारी,

ऐसो है रे मेरो गिरधारी,

मैं तो अपनें मोहन की प्यारी,

सजन मेरो गिरधारी।।


गगन मंडल ताके,

चंद्रमा मशालची है,

लाखो लाखो तारे जाके,

दीपक दरबार है,

ब्रह्मा वज़ीर जाके,

विष्णु कारदार जाके,

शंकर दीवान ताके,

इंद्र जमादार है,


कहे अवधूत ‘जया’,

समझ विचार देखो,

लक्ष्मी चरण औकु,

कुबेर भंडारी है,

ऐसो है रे मेरो गिरधारी,

ऐसो है रे मेरो गिरधारी,

मै तो अपनें मोहन की प्यारी,

सजन मेरो गिरधारी।।


मै तो अपने मोहन की प्यारी,

सजन मेरो गिरधारी,

सजन मेरो गिरधारी,

गिरधारी गिरधारी,

गिरधारी गिरधारी,

मैं तो अपने मोहन की प्यारी,

सजन मेरो गिरधारी।।

मार्गशीर्ष शुक्ल की मोक्षदा एकादशी (Margshersh Sukal Ki Mouchda Ekadashi) )

इतनी कथा सुन महाराज युधिष्ठिर बोले- हे दशी जनार्दन आपको नमस्कार है। हे देवेश ! मनुष्यों के कल्याण के लिए मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का नाम एवं माहात्म्य वर्णन कर यह बतलाइये कि उसकीएकादशी माहात्म्य-भाषा विधि क्या है?

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊँ (Main To Shiv Hi Shiv Ko Dhyau)

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊँ,
जल से स्नान कराऊँ,

षटतिला एकादशी पूजा विधि

हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी व्रत रखा जाता है। इस साल ये व्रत 25 जनवरी, 2025 को रखा जाएगा । इस दिन सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

महाकाल की नगरी मेरे मन को भा गई (Mahakal Ki Nagri Mere Maan Ko Bha Gayi)

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मेरे शंकर की सवारी आज आयी,