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म्हारे सर पर है मैया जी रो हाथ(Mhare Sar Pe Hai Maiyaji Ro Hath)

म्हारे सर पर है मैया जी रो हाथ,

कोई तो म्हारो कई करसी ॥


जे कोई म्हारी मैया जी ने,

साँचे मन से ध्यावे,

काल कपाल भी मैया जी के,

भगता से घबरावे,

जे कोई पकड़्यो है,

मैया जी रो हाथ,

विको तो कोई काई करसी,

म्हारे सिर पर है मैया जी रो हाथ,

कोई तो म्हारो कई करसी ॥


जो माँ पे बिस्वास करे वो,

खूंटी ताण के सोवे,

बठे प्रवेश करे ना कोई,

बाल ना बांको होवे,

जाके मन में नहीं है विस्वास,

बीको तो मैया कई करसी,

म्हारे सिर पर है मैया जी रो हाथ,

कोई तो म्हारो कई करसी ॥


कलयुग माहि मैया म्हारी,

साँची नाम कमाई,

जद जद भीड़ पड़ी भगता पर,

दौड़ी दौड़ी आई,

या तो घट घट की जाणे सारी बात,

कोई तो म्हारो कई करसी,

म्हारे सिर पर है मैया जी रो हाथ,

कोई तो म्हारो कई करसी ॥


म्हारे सर पर है मैया जी रो हाथ,

कोई तो म्हारो कई करसी ॥

पापमोचनी एकादशी विष्णु पूजा विधि

पापमोचनी एकादशी व्रत पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, और इसे पापों से मुक्ति दिलाने वाला व्रत माना गया है। पापमोचनी एकादशी व्रत का वर्णन स्कंद पुराण में किया गया है, जहां इस बात की चर्चा की गई है, की इस व्रत का पालन करने से मनुष्य अपने पिछले जन्मों के दोषों से भी मुक्त हो सकता है।

ज्वारे और अखंड ज्योत की परंपरा

तैत्तिरीय उपनिषद में अन्न को देवता कहा गया है- अन्नं ब्रह्मेति व्यजानत्। साथ ही अन्न की निंदा और अवमानना ​​का निषेध किया गया है- अन्नं न निन्द्यात् तद् व्रत। ऋग्वेद में अनेक अनाजों का वर्णन है I

भगवा रंग चढ़ा है ऐसा, और रंग ना भाएगा (Bhagwa Rang Chadha Hai Aisa Aur Rang Na Bhayega)

भगवा रंग चढ़ा है ऐसा,
और रंग ना भाएगा,

भारत में होली के अलग-अलग रंग

बरसाना और नंदगांव की होली विश्व प्रसिद्ध है और इसे देखने के लिए हर साल हजारों लोग यहां पहुंचते हैं। यह होली श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम कथा से जुड़ी हुई है। बरसाना में महिलाएं पुरुषों पर प्रेमपूर्वक लाठियां बरसाती हैं और पुरुष ढाल लेकर खुद को बचाने का प्रयास करते हैं।

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