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रोम रोम में बस हुआ है एक उसी का नाम(Rom Rom Me Basa Hua Hai Ek Usi Ka Naam)

रोम रोम में बसा हुआ है,

एक उसी का नाम,

तू जपले राम राम राम,

तू भजले राम राम राम,

रोम रोम में बसा हुआ हैं ॥


लोभ और अभिमान छोड़िए,

छोड़ जगत की माया,

मन की आँखे खोल देख,

कण कण में वही समाया,

जहाँ झुकाए सर तू अपना,

वही पे उनका धाम,

तू जपले राम राम राम,

तू भजले राम राम राम,

रोम रोम में बसा हुआ हैं ॥


ये मत सोच जहाँ मंदिर है,

वही पे दीप जलेंगे,

जहाँ पुकारेगा तू उनको,

वही पे राम मिलेंगे,

दर दर भटक रहा क्यों प्राणी,

उन्ही का दामन थाम,

तू जपले राम राम राम,

तू भजले राम राम राम,

रोम रोम में बसा हुआ हैं ॥


ये संसार के नर और नारी,

देवी देवता सारे,

नहीं चला है कोई यहाँ पे,

उनके बिना इशारे,

वो चाहे सूरज निकले,

वो चाहे तो ढलती शाम,

तू जपले राम राम राम,

तू भजले राम राम राम,

रोम रोम में बसा हुआ हैं ॥


रोम रोम में बसा हुआ है,

एक उसी का नाम,

तू जपले राम राम राम,

तू भजले राम राम राम,

रोम रोम में बसा हुआ हैं ॥

प्यारा सजा है तेरा द्वार भवानी (Pyara Saja Hai Tera Dwar Bhawani)

दरबार तेरा दरबारों में इक खास एहमियत रखता है
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बसंत पंचमी क्या दान करें

बसंत पंचमी का पर्व ज्ञान, विद्या और समृद्धि का प्रतीक है। यह दिन पूरी तरह से माता सरस्वती को समर्पित है, और इस दिन उनकी पूजा का विधान है।

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मैया अम्बे मैया,
लाल तेरा घबराये हर पल तुझे बुलाये ॥

रिद्धि सिद्धि का देव(Riddhi Siddhi Ka Dev Nirala)

रिद्धि सिद्धि का देव निराला,
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