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श्याम खाटू वाले से मेरी पहचान हो गई - भजन (Shyam khatu wale se meri pahachan ho gai)

श्याम खाटू वाले से,

मेरी पहचान हो गई,

मुश्किल बड़ी थी मेरी,

मंजिल आसान हो गई,

श्याम खाटू वालें से,

मेरी पहचान हो गई ॥


जो हार के दर पे आया,

बाबा की शरण वो पाया,

इनका शुकर मनाये हम,

दर पे सर झुकाए हम

देखके इनकी दातारी,

मैं हैरान हो गई,

श्याम खाटू वालें से,

मेरी पहचान हो गई ॥


पिछले जनम के अच्छे करम,

हो गया अपना श्याम मिलन,

भक्तों के अरमा मचले,

ख़ुशी के आंसू निकले,

इनकी दया से अपनी,

आन बान शान हो गई,

श्याम खाटू वालें से,

मेरी पहचान हो गई ॥


इनका सर पे हाथ रहे,

हर पल इनका साथ रहे,

प्रेम का धागा टूटे ना,

बाबा हमसे रूठे ना,

‘चोखानी’ कहे ‘अंजलि’ तेरी,

थोड़ी पहचान हो गई,

श्याम खाटू वालें से,

मेरी पहचान हो गई ॥


श्याम खाटू वाले से,

मेरी पहचान हो गई,

मुश्किल बड़ी थी मेरी,

मंजिल आसान हो गई,

श्याम खाटू वालें से,

मेरी पहचान हो गई ॥


श्री झूलेलाल चालीसा (Shri Jhulelal Chalisa)

जय जय जल देवता,जय ज्योति स्वरूप ।
अमर उडेरो लाल जय,झुलेलाल अनूप ॥

बारिशों की छम छम में तेरे दर पे आए हैं

बारिशों की छम छम में तेरे दर पे आए हैं।
बारिशों की छम छम में तेरे दर पे आए हैं।
बारिशों की छम छम में तेरे दर पे आए हैं।

कब है रुक्मिणी अष्टमी?

हिंदू धर्म में पौष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी को समर्पित है, जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, रुक्मिणी अष्टमी पर ही द्वापर युग में विदर्भ के महाराज भीष्मक के यहां देवी रुक्मिणी जन्मी थीं।

काली कमली वाला मेरा यार है - भजन (Kali Kamali Wala Mera Yar Hai)

काली कमली वाला मेरा यार है,
मेरे मन का मोहन तु दिलदार है,