बैठी हो माँ सामने, कर सोलह श्रृंगार (Baithi Ho Maa Samne Kar Solah Shringar)

बैठी हो माँ सामने,

कर सोलह श्रृंगार,

तू करुणा की है मूरत,

और ममता का भण्डार,

बैठी हो मां सामने,

कर सोलह श्रृंगार ॥


निरख रही हो हम भक्तों को,

बड़े प्यार से जगजननी,

इसी तरह हम भक्तों को भी,

तेरी ही सेवा करनी,

तू हरदम देती रहना,

हमको माँ प्यार दुलार,

बैठी हो मां सामने,

कर सोलह श्रृंगार ॥


तेरी ममता की छाया में,

इसी तरह हम पले बढ़े,

तेरी किरपा से ही माता,

हम अपने पैरो पे खड़े,

तेरे बच्चों को देने में,

तू करती नहीं इन्कार,

बैठी हो मां सामने,

कर सोलह श्रृंगार ॥


हम बच्चों पर हरदम मैया,

आशीर्वाद तुम्हारा हो,

‘हर्ष’ कहे माँ शेरोवाली,

हरपल साथ तुम्हारा हो,

तू हाथ दया का रखना,

सांचा तेरा दरबार,

बैठी हो मां सामने,

कर सोलह श्रृंगार ॥


बैठी हो माँ सामने,

कर सोलह श्रृंगार,

तू करुणा की है मूरत,

और ममता का भण्डार,

बैठी हो मां सामने,

कर सोलह श्रृंगार ॥

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राहो में फूल बिछाऊँगी(Raho Mein Phool Bichaungi)

राहों में फूल बिछाऊँगी,
जब राम मेरे घर आएंगे,

बोल कन्हैया बोल (Bol Kanhaiya Bol)

वा रे लाला नन्द का,
तूने जनम चराई ढोर,

जनवरी में कब है संकष्टी चतुर्थी

सनातन हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि साल की पहली संकष्टी चतुर्थी लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जानी जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से भगवान गणेश जी और सकट माता की पूजा-अर्चना के लिए प्रसिद्ध है।

सात्विक मंत्र क्यों पढ़ने चाहिए?

'मंत्र' का अर्थ है मन को एकाग्र करने और अनावश्यक विचारों से मुक्त करने का एक सरल उपाय। आज की तेज़ भागदौड़ भरी ज़िंदगी में मानसिक शांति प्राप्त करना अत्यंत कठिन हो गया है।

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