भोले की किरपा से हमरे, ठाठ निराले है (Bhole Ki Kripa Se Hamare Thaat Nirale Hai)

भोले की किरपा से हमरे,

ठाठ निराले है,

हम बाबा वाले है,

सुनो जी हम बाबा वाले है ॥


भजनों को तेरे गा कर,

मैं तो मस्ती में रहता,

रस्ते में जो भी मिलता,

हर हर बम बम ही कहता,

कदम कदम पर बन जाते,

भोले रखवाले है,

हम बाबा वाले है,

सुनो जी हम बाबा वाले है ॥


भोले ने जो भी दिया है,

उसे व्यर्थ ना यूँ ही गंवाओ,

भोले की भक्ति करके,

थोड़ा सा कर्ज चुकाओ,

‘श्याम’ का सारा जीवन,

भोले तेरे हवाले है,

हम बाबा वाले है,

सुनो जी हम बाबा वाले है ॥


भोले की किरपा से हमरे,

ठाठ निराले है,

हम बाबा वाले है,

सुनो जी हम बाबा वाले है ॥


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नमो नमो हे भोले शंकरा(Namo Namo Hey Bhole Shankara)

मैंने पाया नशा है,
मेरा बस तुझमे,

कावड़ उठाले ध्यान, शिव का लगा ले (Kawad Utha Le Dhyan Shiv Ka Laga Le)

कावड़ उठाले ध्यान,
शिव का लगाले ॥

क्यों मनाई जाती है मत्स्य द्वादशी?

मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाने वाली मत्स्य द्वादशी भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की जयंती के रूप में मनाई जाती है।

रामजी की निकली सवारी (Ramji Ki Nikali Sawari Ramji Ki Leela Hai Nayari)

सर पे मुकुट सजे मुख पे उजाला
हाथ धनुष गले में पुष्प माला

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