बेद की औषद खाइ कछु न करै माँ गंगा माहात्म्य (Bed Ki Aushad Khai Kachhu Na karai: Ganga Mahatmy)

माँ गंगा मैया का गरिमामय माहात्म्य ॥


बेद की औषद खाइ कछु न करै बहु संजम री सुनि मोसें ।

तो जलापान कियौ रसखानि सजीवन जानि लियो रस तेर्तृ ।

एरी सुघामई भागीरथी नित पथ्य अपथ्य बने तोहिं पोसे ।

आक धतूरो चाबत फिरे विष खात फिरै सिव तेऐ भरोसें ।

- सैयद रसखान


........................................................................................................
मेरे राम की सवारी (Mere Ram Ki Sawari)

हे उतर रही हे उतर रही
मेरे राम की सवारी हो

भोलेनाथ की दीवानी, गौरा रानी लागे (Bholenath Ki Deewani Gora Rani Lage)

भोलेनाथ की दीवानी,
गौरा रानी लागे,

आज अष्टमी की पूजा करवाउंगी: भजन (Aaj Ashtami Ki Pooja Karwaongi)

आज अष्टमी की पूजा करवाउंगी,
ज्योत मैया जी की पावन जगाउंगी।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने