भोले मेरी नैया को भाव पार लगा देना (Bhole Meri Naiya Ko Bhav Paar Laga Dena)

भोले मेरी नैया को भाव पार लगा देना ॥


श्लोक-

भोले में तेरे दर पे,

कुछ आस लिए आया हूँ ,

तेरे दर्शन की मन में,

एक प्यास लिए आया हूँ ,

अब छोड़ दिया जग सारा,

सब तोड़ दिए रिश्ते,

विश्वास है भक्ति का,

मन में विश्वास लिए आया हूँ ॥


भोले मेरी नैया को भाव पार लगा देना

है आपके हाथो में मेरी बिगड़ी बना देना ॥


तुम शंख बजा करके दुनिया को जगाते हो

डमरू की मधुर धुन से सद्मार्ग दिखाते हो

में मूरख सब मेरे अवगुण को भुला देना

भोले मेरी नैय्या को भाव पार लगा देना ॥


श्लोक-

दुनिया जिसे कहते है माया है तुम्हारी,

कण कण में यहाँ शम्भू छाया है तुम्हारी,

मेरा तो कुछ भी नहीं है ना स्वास है न धड़कन,

ये प्राण है तुम्हारा काया है तुम्हारी ॥


हर और अँधेरा है तूफ़ान ने घेरा है

कोई राह नहीं दिखती एक तुझपे भरोसा है

एक आस लगी तुझसे मेरी लाज बचा लेना

भोले मेरी नैय्या को भाव पार लगा देना ॥


हे जगदम्बा के स्वामी देवादिदेव नमामि

सबके मन की तुम जानो शिव शंकर अंतर्यामी

दुःख आप मेरे मन का महादेव मिटा देना

भोले मेरी नैया को भाव पार लगा देना ॥


श्लोक-

हे महाकाल तुम्हारे दर पे लोग,

खाली हाथ आते है,

और झोली भर कर जाते है,

कोई बात तो है महाकाल,

तुम्हारे दर्शन में,

तभी तो लाखो लोग,

तुमको शीश झुकाते है ॥


महादेव जटा में तुमने गंगा को छुपाया है

माथे पर चन्द्र सजाया विषधर लिपटाया है

मुझे नाथ गले अपने महाकाल लगा लेना

भोले मेरी नैय्या को भाव पार लगा देना ॥


भोले मेरी नैया को भाव पार लगा देना

है आपके हाथो में मेरी बिगड़ी बना देना ॥

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बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी ।

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ईश्वर को जान बन्दे,
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वैकुंठ धाम कहां है

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बसंत पंचमी के दिन क्या करें, क्या नहीं

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