भोलेनाथ है वो मेरे, भोलेनाथ हैं (Bholenath Hai Vo Mere Bholenath Hai)

हर इक डगर पे हरपल,

जो मेरे साथ हैं,

भोलेनाथ है वो मेरे,

भोलेनाथ हैं,

देवों के देव हैं वो,

नाथों के नाथ हैं,

भोलेनाथ हैं वो मेरे,

भोलेनाथ हैं ॥


नीलकंठ महादेव विष को पिये हैं,

असुरों देवों को वर एक सा दिए हैं,

फर्क न किये,

हर कष्ट हर लिए,

जिनके आगे प्राणी सब,

जोड़े हाथ है,

भोलेनाथ हैं वो मेरे,

भोलेनाथ हैं ॥


हाथ में त्रिशूल है बाघम्बर कमर में,

दूजे हाथ डमरू है बाजे नाद स्वर में,

नन्दी पे सवार,

हैं भोले त्रिपुरार,

जटा में हैं गंगा और,

चन्द्र माथ है,

भोलेनाथ हैं वो मेरे,

भोलेनाथ हैं ॥


जल जो चढ़ाए उसे यम से उबारे,

बेल के चढाने से भरते भंडारे,

दूध अक्षत के संग,

धतूरा और भँग,

वैभव सुख धन की करते,

बरसात हैं,

भोलेनाथ हैं वो मेरे,

भोलेनाथ हैं ॥


हर इक डगर पे हरपल,

जो मेरे साथ हैं,

भोलेनाथ है वो मेरे,

भोलेनाथ हैं,

देवों के देव हैं वो,

नाथों के नाथ हैं,

भोलेनाथ हैं वो मेरे,

भोलेनाथ हैं ॥

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मोहनी मुरति साँवरी सूरति(Mohini Murat Sanwali Surat, Aai Basau In Nainan Me)

मोहनी मुरति साँवरी सूरति,
आइ बसौ इन नैनन में ।

नर्मदा नदी की कथा

नर्मदा नदी पहाड़, जंगल और कई प्राचीन तीर्थों से होकर गुजरती हैं। वेद, पुराण, महाभारत और रामायण सभी ग्रंथों में इसका जिक्र है। इसका एक नाम रेवा भी है। माघ माह में शुक्ल पक्ष सप्तमी को नर्मदा जयन्ती मनायी जाती है।

जगन्नाथ रथ यात्रा क्यों मानते हैं

सनातन धर्म में हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा को रथ महोत्सव और गुंडिचा यात्रा के नाम से भी जाना जाता है।

माँ की लाल रे चुनरिया(Maa Ki Laal Re Chunariya)

माँ की लाल रे चुनरिया,
देखो लहर लहर लहराए,

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